खिलाड़ियों की आय में हिस्सेदारी पर हरियाणा सरकार ने अपना बचाव किया
चंडीगढ़/नई दिल्ली, 8 जून (आईएएनएस)| हरियाणा के खिलाड़ियों को पुरस्कार राशि और विज्ञापनों से मिलने वाले पैसों का एक-तिहाई हिस्सा हरियाणा स्पोर्ट्स परिषद को देने के फैसले का हरियाणा की सरकार ने बचाव किया है। सरकार के सूत्रों ने यह कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार द्वारा 30 अप्रैल को जारी सूचना में मौजूद नियमों के मुताबिक कुछ नया नहीं किया गया है।
खेल और युवा कल्याण विभाग के प्रधान सचिव अशोक खेमका द्वारा जारी सूचना में राज्य सरकार ने सभी खिलाड़ियों से पेशेवर समारोह से मिलने वाली पुरस्कार राशि और विज्ञापनों से मिलने वाले पैसों का एक-तिहाई हिस्सा देने की बात कही है।
सरकार द्वारा जारी 30 अप्रैल की इस अधिसूचना में कहा गया है कि खिलाड़ियों से लिया गया यह एक-तिहाई धन हरियाणा में खेल के और उभरती प्रतिभाओं के विकास में इस्तेमाल किया जाएगा।
खेमका ने इस अधिसूचना पर 27 अप्रैल को हस्ताक्षर किए थे, जिसमें कहा गया था कि, खिलाड़ी उनके पेशेवर समारोहों और विज्ञापनों से करार से मिलने वाले धन का एक-तिहाई हिस्सा हरियाणा राज्य खेल परिषद को देंगे और यह धन राज्य में खेल के और उभरती प्रतिभाओं के विकास में इस्तेमाल किया जाएगा।
इस कदम की कई खिलाड़ियों ने आलोचना की है और साथ ही उन्होंने राज्य सरकार को भी फटकार लगाई है, वहीं हरियाणा के खेल मंत्री अनिल विज, खेमका ने इस फैसले का बचाव किया है।
विज ने शुक्रवार को कहा, इस फैसले में कुछ नया नहीं है। यह सरकार का पुराना नियम है। नियम 56 के तहत, यदि कोई सरकारी कर्मचारी व्यावसायिक या वाणिज्यिक आय अर्जित करता है, तो उसे राज्य सरकार के साथ कमाई का एक-तिहाई हिस्सा जमा करना होगा। हमने पेशेवर (अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज) विजेंदर सिंह को व्यावसायिक रूप से खेलने की इजाजत दी थी। (पंजाब और हरियाणा) उच्च न्यायालय ने हमें इस संबंध में नियम बनाने के लिए कहा। हमने अब नियम लाए हैं।
खेमका ने कहा कि यह अधिसूचना तब जारी की गई थी, जब राज्य ने अदालत को आश्वासन दिया था कि हरियाणा सरकार पेशेवर खेल खेलने वाले लोगों के साथ नीति लाएगी। आम तौर पर, सरकारी कर्मचारियों को पेशेवर खेल खेलने की अनुमति नहीं है। पैसा केवल खिलाड़ियों के लाभ के लिए उपयोग किया जाएगा।
भारत की महिला कुश्ती पहलवान गीता फोगाट ने एक टेलीविजन चैनल को दिए बयान में कहा, यह नया नियम खिलाड़ियों का मजाक बना रहा है। क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए तो ऐसा कोई नियम नहीं है, जो अन्य खेलों में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों से अधिक कमाते हैं। क्रिकेट खिलाड़ी विज्ञापनों से बहुत पैसा कमाते हैं, लेकिन मुक्केबाजी, कबड्डी और कुश्ती के खिलाड़ी इतना नहीं कमाते हैं।
गीता ने सरकार से सवालिया लहजे में कहा, अगर हम अपनी कमाई का एक-तिहाई हिस्सा दे देंगे, तो यह हमारे लिए सही नहीं होगा। ऐसी स्थिति में हमारे लिए क्या रह जाएगा?
इसके अलावा, भारत के दिग्गज कुश्ती पहलवान सुशील सिंह ने भी इस फैसले के खिलाफ आवाज उठाई है।
सरकारी विभागों द्वारा नियोजित खिलाड़ियों तथा पेशेवर खेल या वाणिज्यिक समर्थन में हिस्सा लेने वालों को भी एक-तिहाई हिस्सा देना होगा।