दिल्ली में ओजोन प्रदूषण में इजाफा खतरनाक : सीएसई
नई दिल्ली, 7 जून (आईएएनएस)| राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनएसीआर), खासतौर से दिल्ली में हवा में ओजोन की बढ़ती मात्रा से प्रदूषण का खतरा बढ़ गया है।
यह बात एक हालिया अध्ययन में सामने आया है। सेंटर फोर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) द्वारा किया गया यह अध्ययन में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के 31 निरीक्षण केंद्रों से प्राप्त आंकड़ों पर आधारित है।
अध्ययन में बताया कि गया कि फरवरी से मई के दौरान दैनिक वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में ओजोन की मात्रा में बढ़ोतरी हुई जोकि सूक्ष्म कणों के साथ प्रमुख प्रदूषक रहा रहा है।
सीएसई की रिपोर्ट के अनुसार, फरवरी-मई के दौरान कम से कम 23 दिन ओजो प्रमुख प्रदूषक पाया गया और ये खतरे के शुरुआती संकेत हैं।
सीएसई के विशेषज्ञों ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, हालांकि यह तुलनात्मक अध्ययन नहीं है, क्योंकि वर्ष 2017 के आंकड़े बहुत कम उपलब्ध हो पाए।
काफी प्रतिक्रियाशील तत्व ओजोन नाइट्रोजन ऑक्साइड का ऊष्मा, सूर्य प्रकाश और अन्य वाष्पशील गैसों के साथ प्रतिक्रया से बनता है। यह ज्यादातर वाहनों से निकलने वाले धुएं व अन्य स्रोतों से उत्पन्न होता है।
रिसर्च एंड एडवोकेसी के कार्यकारी निदेशक और सीएसई के प्रमुख अनुमिता रायचौधरी ने आईएएनएस को बताया, ओजोन काफी हानिकारक है। खासतौर से सांस संबंधी रोगों, दमा और फेफड़ों की तकलीफों से पीड़ित मरीजों के लिए यह खतरनाक है।
उन्होंने बताया कि इससे दिल की बीमारी का खतरा पैदा हो सकता है। हेल्थ इफेक्ट इंस्टीट्यूट के 2017 के एक अध्ययन में बताया गया कि भारत में ओजोन के कारण कम उम्र में होने वाली मौत के मामलों में 148 फीसदी का इजाफा हुआ है।
सीएसई के अध्ययन के अनुसार, दिल्ली में घनी आबादी वाले इलाके पटपड़गंज, आरके पुरम, नेहरूनगर, नजफगढ़ और सोनिया विहार के औद्योगिक व निम्न आय वाले लोगों की आबादी वाले इलाकों में प्रदूषण की स्थिति सबसे खतरनाक पाई गई।