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आईसीआईसीआई बैंक घोटाले पर मोदी सरकार चुप क्यों : कांग्रेस

नई दिल्ली, 4 जून (आईएएनएस)| आईसीआईसीआई बैंक की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) चंदा कोचर के खिलाफ एक व्हिसल ब्लोअर द्वारा ऋण धोखाधड़ी के नए आरोप लगाए जाने के बाद कांग्रेस ने सोमवार को इस मुद्दे पर मोदी सरकार के ‘चुप्पी साधने’ और ‘अहस्तक्षेप’ पर सवाल उठाए और पूछा कि सरकार इस मामले में जांच के आदेश क्यों नहीं दे रही है?

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने यहां पत्रकारों से कहा, खाताधारकों, हितधारकों और शेयरधारकों के हितों की निगरानी, ऑडिट, विनियमन के बजाय मोदी सरकार अपने अपने दोस्तों (क्रोनी फ्रेंड्स) के हितों की रक्षा में व्यस्त है।

उन्होंने कहा, समाचारों और व्हिसल ब्लोअर के पत्र के इस वर्ष मार्च में सामने आने के बाद भी सरकार ने जांच के आदेश क्यों नहीं दिए?

उन्होंने कहा, आईसीआईसीआई बैंक घोटाले के परिपेक्ष्य में मोदी सरकार की घोषित अहस्तक्षेप और चुप्पी की वजह क्या है?

खेड़ा ने कहा कि क्या कार्यवाहक वित्तमंत्री पीयूष गोयल निजी बैंकों के सभी सीईओ के ऋणदाताओं के साथ संबंधों को घोषित करने के लिए जांच के आदेश देंगे?

उन्होंने कहा, सरकार ने खुद स्वीकार किया है कि सभी बैंकों की गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) 230 प्रतिशत तक बढ़ गई है। मार्च 2014 में यह 2,51,054 करोड़ थी जो कि दिसंबर 2017 में बढ़कर 8,31,141 करोड़ रुपये हो गई है।

उन्होंने कहा कि निगरानी और विनियामक कार्यतंत्र के अभाव की वजह से 61,036 करोड़ रुपये का बैंकिंग घोटाला हुआ और इस वजह से बैंकों के प्रति आम लोगों का भरोसा कम हुआ।

खेड़ा ने कहा, बैंकिंग घोटाले के अंतर्गत आईसीआईसीआई बैंक के 2,849 करोड़ का खुलासा होना और पर्दे के पीछे संदेहास्पद सौदा सीईओ की भूमिका पर सवाल उठाता है।

उन्होंने कहा, मीडिया की खबरों के मुताबिक, व्हिसल ब्लोअर ने आरोप लगाया है कि आईसीआईसीआई की सीईओ और उसके परिवार ने एक बड़ी कंपनी (कांसर्टियम) की अनुषंगी कंपनी में 325 करोड़ रुपये का निवेश किया।

उन्होंने कहा, काफी देरी के बाद, सेबी ने आईसीआईआई बैंक की सीईओ को कारण बताओ नोटिस जारी किया है और कहा कि इन्होंने आचार संहिता का पालन नहीं किया, जिसके अंतर्गत वीडियोकोन समूह या न्यूपॉवर रिनेबल्स के ‘कन्फ्लिक्ट्स ऑफ इंटरेस्ट’ के प्रकटीकरण की जरूरत थी।

न्यूपॉवर चंदा कोचर के पति के स्वामित्व वाली कंपनी है।

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