भारत, सिंगापुर आर्थिक सहयोग समझौते के उन्नयन पर सहमत
सिंगापुर, 1 जून (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां सिंगापुर के अपने समकक्ष ली सीन लुंग के साथ द्विपक्षीय बैठक के बाद शुक्रवार को कहा कि भारत और सिंगापुर जल्द ही अपने व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (सीईसीए) को और आगे ले जाएंगे।
दोनों पक्षों ने शिखर बैठक के बाद विभिन्न क्षेत्रों में आठ समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
मोदी ने बैठक के बाद ली के साथ संयुक्त रूप से मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, हम सीईसीए की दूसरी समीक्षा से खुश हैं।
उन्होंने कहा, लेकिन दोनों देश इस बात से सहमत हैं कि यही हमारा लक्ष्य नहीं है, बल्कि सिर्फ एक और मील का पत्थर है।
मोदी ने कहा, दोनों देशों के अधिकारी जल्द ही इस पर चर्चा करेंगे कि समझौते का उन्नयन कैसे किया जाए।
भारत और सिंगापुर ने 2005 में सीईसीए पर हस्ताक्षर किया था। सिंगापुर पहला ऐसा देश है, जिसके साथ भारत ने इस प्रकार का समझौता किया है।
ली ने कहा कि सीईसीए के प्रभावी होने के बाद से भारत और सिंगापुर के बीच द्विपक्षीय व्यापार दोगुना होकर 25 अरब डॉलर हो गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि दक्षिणपूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के वर्तमान अध्यक्ष के रूप में सिंगापुर, भारत के साथ क्षेत्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में काम करेगा।
मोदी ने कहा कि जहां भारत के लिए सिंगापुर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का महत्वपूर्ण स्रोत है, वहीं यह देश भारतीय निवेश का भी एक शीर्ष स्थल है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सिंगापुर की कंपनियों द्वारा भारत में निवेश बढ़ रहा है। भारत के विकास में महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सिंगापुर की कंपनियों के लिए शानदार अवसर हैं।
मोदी ने कहा, मुझे इस बात की खुशी है कि भारतीय कंपनियां अन्य एशियाई देशों में विस्तार करने के लिए सिंगापुर को आगे बढ़ने के प्रेरणा के तौर पर लेती हैं।
इस बात का जिक्र करते हुए कि भारत और सिंगापुर के बीच उड़ान सेवाएं तेजी से बढ़ी हैं, भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच जल्द ही एक हवाई सेवा समझौता होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देश रणनीतिक सहयोग के मामले में रक्षा और सुरक्षा पर बहुत ज्यादा जोर दे रहे हैं।
सिंगापुर-भारत द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास (सिम्बेक्स) के 25वें वर्ष पर दोनों देशों की नौसेनाओं को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि जल्द ही त्रिपक्षीय अभ्यास शुरू किया जाएगा।
मोदी ने कहा, आने वाले समय में, साइबर सुरक्षा और चरमपंथ व आतंकवाद से लड़ने के मामले में हमारे सहयोग को अधिक महत्व मिलेगा। हम मानते हैं कि ये दोनों देशों के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं।
मोदी ने कहा कि उन्होंने और प्रधानमंत्री ली ने क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की है।
उन्होंने कहा, हमने समुद्री सुरक्षा पर हमारे संबंधित विचारों की समीक्षा की और नियम-आधारित व्यवस्था के प्रति अपनी बचनबद्धता दोहराई।
प्रधानमंत्री ने कहा, हम इस बात पर सहमत हैं कि एक खुली, स्थिर और उपयुक्त अंतर्राष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था बनाए रखी जानी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) को जल्द मूर्त रूप देने के लिए भारत प्रतिबद्ध है।
आरसीईपी आसियान के 10 देशों और उन छह देशों (ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूजीलैंड) के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता है, जिनके साथ इस क्षेत्रीय समूह के मौजूदा समय में मुक्त व्यापार समझौते हैं।
मोदी ने नानयंग प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय(एनटीयू) में एनटीयू के अध्यक्ष सुबरा सुरेश से यहां एक बातचीत के दौरान कहा कि सभी बाधाओं को विनाश के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए, क्योंकि बाधाएं मानव योग्यता और रचनात्मकता से जुड़ी हो सकती हैं।
उन्होंने कहा, लोगों का मानना है कि बाधा विनाश की ओर ले जाती है।
उन्होंने कहा, लेकिन मेरा मानना है कि यह गलत है, जैसा कि मैं मानता हूं कि बाधा मानव योग्यता और रचनात्मकता से जुड़ी हो सकती है।
मोदी ने शुक्रवार को सिंगापुर के पूर्व राजनयिक टोमी कोह को भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया।
नई दिल्ली की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत भारत-आसियान संबंधों को बढ़ावा देने के लिए मोदी ने आसियान के सभी 10 सदस्य देशों के एक-एक खास व्यक्ति को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की थी।
मोदी अपने पांच दिवसीय दक्षिणपूर्व एशिया दौरे के तीसरे व अंतिम चरण के तहत बुधवार को यहां पहुंचे।