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संयुक्त राष्ट्र की पुनर्गठन पहल को भारत का समर्थन

संयुक्त राष्ट्र, 1 जून (आईएएनएस)| संयुक्त राष्ट्र अपनी गतिविधियों को कारगर बनाने और राष्ट्रीय स्तर पर नागरिक समन्वयकों को सशक्त बनाने के लिए अपनी विकास प्रणाली में एक बड़े पुनर्गठन की शुरुआत करने जा रहा है।

भारत ने इस पुनर्गठन पहल का समर्थन किया है, लेकिन साथ ही चेतावनी भी दी है कि इसका वित्तपोषण अभी भी अनिश्चित बना हुआ है।

इस पुनर्गठन के अंतर्गत, विभिन्न देशों में तैनात 129 नागरिक समन्वयक (रेसिडेंट्स कॉर्डिनेटर्स) संयुक्त राष्ट्र के ‘उच्च पदस्थ प्रतिनिधि’ होंगे और संयुक्त राष्ट्र की पूरी टीम इसके सतत विकास लक्ष्यों(एसडीजी) के बारे में इन समन्वयकों को रिपोर्ट पेश करेगी।

एक देश में संयुक्त राष्ट्र की ज्यादा से ज्यादा 30 एजेंसियां और कार्यालय संगठन संचालित हो सकते हैं और नई व्यवस्था का उद्देश्य संवाद के एक जगह से संयुक्त राष्ट्र स्तर पर और संबंधित देशों के साथ बेहतर समन्वय बनाना है।

नागरिक समन्वयक सीधे उप महासचिव अमीना मोहम्मद को रिपोर्ट करेंगे।

महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने कहा, यह सुधार दशकों बाद संयुक्त राष्ट्र की विकास गतिविधियों के लिए व्यापक और महत्वाकांक्षी परिवर्तन है और इससे देशों व एजेंसियों के साथ ‘ऐतिहासिक घाटे(हिस्टोरिक डिफिसिट)’ का समाधान होगा।

गुटेरस ने संयुक्त राष्ट्र को ज्यादा दक्ष और पारदर्शी बनाने का वादा किया।

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, इस नई व्यवस्था को लागू करने में 25.5 करोड़ डॉलर सालाना खर्च होंगे, जिसमें बजट के अलावा एक बड़ा हिस्सा अंशदान के जरिए पूरा किया जाएगा।

भारत के उप स्थानी प्रतिनिधि तन्मय लाल ने कहा, इस स्तर पर वित्तपोषण के पैमाने और इसकी उपलब्धता को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।

लाल ने कहा, भारत ने गुटेरस के सुधार प्रस्ताव का समर्थन किया है, खासकर प्रतिनिधि को अधिकार देने और पारदर्शिता बढ़ाने के मामले में, लेकिन उन्हें इसमें काफी हद तक संशोधन करना था, खासकर वित्तपोषण के मामले में।

लाल ने कहा, लेकिन संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण की वजह से, भारत प्रस्ताव का समर्थन करता है और सचिवालय के साथ हम सकारात्मक सहयोग के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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