कर्नाटक में 1 लाख बैंककर्मी हड़ताल पर
बेंगलुरू, 30 मई (आईएएनएस)| कर्नाटक में 22 सरकारी व संबद्ध बैंकों के करीब एक लाख कर्मचारियों ने दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल में भाग लिया।
हड़ताल का आह्वान बैंक कर्मचारियों के ट्रेड यूनियन ने वेतन समीक्षा व दूसरे लाभों के लिए दबाव बनाने के लिए किया है।
ट्रेड यूनियन के एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी।
ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन (एआईबीओसी) के महासचिव वाई सुदर्शन ने आईएएनएस से कहा, हमारे हड़ताल के आह्वान पर खास तौर से वेतन पुनरीक्षण व दूसरी मांगों के समर्थन में कुल करीब एक लाख बैंक कर्मचारी व अधिकारी राज्य भर में कामकाज से दूर रहे हैं।
करीब 8000 बैंक कर्मचारियों ने शहर के मध्य में अपनी मांगों को लेकर इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) की ‘उपेक्षा’ के खिलाफ प्रदर्शन किया। इसमें 2000 महिला कर्मचारी भी शामिल रहीं।
राज्य भर में करीब 10,000 बैंक शाखाएं हैं, जिसमें से 3000 के करीब बेंगलुरू में हैं।
राष्ट्रव्यापी हड़ताल की वजह से बैंकिंग परिचालन के प्रभावित होने की बात स्वीकारते हुए सुदर्शन ने कहा कि यह दायित्व आईबीए व सरकार पर है, क्योंकि 2018-23 अवधि के लिए वेतन पुनरीक्षण एक साल से बाकी है।
उन्होंने कहा, श्रम आयुक्त के माध्यम से हमारी सरकार व आईबीए से वार्ता में कोई प्रगति ननहीं हुई है, क्योंकि बैंक की शीर्ष संस्था के प्रतिनिधि दो फीसदी वेतन वृद्धि के प्रस्ताव को बढ़ाने के इच्छुक नहीं हैं, दो फीसदी बहुत कम है और हमें यह किसी कीमत पर स्वीकार्य नहीं है।
इससे सभी तरह के लेनदेन, चेक भुगतान, कर्ज की मंजूरी व अंतर-बैंक परिचालन रुक गया है। बैंकों ने अपने एटीएम को पर्याप्त नकदी से भर दिया है, जिससे खुदरा उपभोक्ताओं पर इसका असर नहीं पड़े।
हालांकि, आईसीआईसीआई, एचडीएफसी, एक्सिस व कोटक महिंद्रा सहित निजी बैंक व्यापार के लिए खुले रहे।
आईबीए की बैंकों के कर्ज व विभिन्न कारणों से बढ़ते एनपीए (गैर निष्पादित अस्तियों) से भारी नुकसान के बोझ को उठाने में असमर्थ होने की दलील को खारिज करते हुए सुदर्शन ने कहा कि बीते पांच सालों (2012-17) के लिए अधिकारियों व कर्मचारियों का वेतन 4,475 करोड़ रुपये प्रति वर्ष था, जो थोड़ी राशि है।
उन्होंने कहा, बार-बार हड़ताल व विरोध के बाद अतीत में भी आईबीए ने अनिच्छा से पिछले द्विपक्षीय समझौते के 17.5 फीसदी के मुकाबले 15 फीसदी की बढ़ोतरी की थी, हालांकि, तब भी एनपीए था, लेकिन कम मात्रा में रहा।