आरबीआई परिपत्र से कैश इन ट्रांजिट कारोबार पर खतरा : सीएपीएसआई
नई दिल्ली, 29 मई (आईएएनएस)| कैश लॉजिस्टिक कारोबार में लगी कंपनियों ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के एक ताजा परिपत्र के खिलाफ लामबंद होना शुरू कर दिया है।
इस परिपत्र में आरबीआई ने कहा है कि कैश इन ट्रांजिट कारोबार में शामिल कंपनियों (जो बैंक/एटीएम में पैसा डालते हैं या विभिन्न जगह से पैसा एकत्रित करके उन्हें बैंक या अन्य प्रतिष्ठान तक पहुंचाते हैं) के लिए यह जरूरी होगा कि उनका नेटवर्थ 100 करोड़ रुपये हो और उनके पास कारोबार करने के लिए 300 गाड़ियों का काफिला हो। देश की निजी सुरक्षा एजेंसियों की प्रतिनिधि संस्था द सेंट्रल एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट सिक्युरिटी इंडस्ट्री (सीएपीएसआई) ने रिजर्व बैंक के इस ताजा परिपत्र को एक षड़यंत्र करार देते हुए कहा है कि यह मुख्य रूप से देश के कैश ट्रांजक्शन कारोबार को विदेशी या विदेशी नियंत्रित कंपनियों को सौंपने की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है, क्योंकि इसमें कैश लॉजिस्टिक कारोबार के लिए एक तरफा नियम बना दिए गए हैं। सीएपीएसआई ने इसे लेकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है और इसे अदालत में भी चुनौती देने की बात कही है।
सीएपीएसआई के अध्यक्ष कुंवर विक्रम सिंह ने यहां जारी एक बयान में कहा, यह देश की कैश वितरण प्रणाली पर परोक्ष रूप से विदेशी कंपनियों के नियंत्रण का मामला है। यह देश की सुरक्षा के लिए भी संवेदनशील मामला है। इसके अलावा करीब 60 से अधिक भारतीय कंपनियां इस परिपत्र की वजह से सीधे कारोबार से बाहर हो जाएंगी, जिससे लाखों कर्मचारी भी बेरोजगार हो जाएंगे।
सीएपीएसआई अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि आरबीआई के इस परिपत्र से केवल दो-तीन विदेशी कंपनियों को लाभ होगा। केवल यही कंपनियां बैंकों या एटीएम तक पैसा पहुंचाने के कारोबार में रह जाएंगी। नियमों को इस तरह बनाया गया है कि केवल इन कंपनियों को ही लाभ हो। अगर केवल विदेशी कंपनियों के हाथ में ही बैंकों, एटीएम और अन्य जगह पैसा पहुंचाने का कार्य चला जाता है तो यह देश की सुरक्षा को लेकर भी शंका उत्पन्न करता है।
सिंह ने कहा, ऐसी स्थिति की कल्पना कीजिए जब ये कंपनियां यह निर्णय ले लें कि वे किसी कारणवश अगले कुछ दिन कैश वितरण नहीं कर सकती हैं। ऐसे में नागरिकों तक पैसा कैसे पहुंचेगा। फिलहाल ऐसी स्थिति नहीं हो सकती है, क्योंकि इस समय पांच दर्जन से अधिक कंपनियां इस कारोबार में है और यह छोटे-मंझोले स्तर की कंपनी भी हैं।
उन्होंने कहा, एक अन्य स्थिति यह हो सकती है कि इन कंपनियों का स्टॉक इनके देश के स्टॉक एक्सचेंज में नीचे गिर जाएं और इनकी कंपनियां दिवालिया हो जाएं तो उस स्थिति में भी ये अपना कारोबार बंद कर देंगी। इससे देश में कैश-नकदी की उपलब्धता को लेकर संकट खड़ा हो जाएगा।
सिंह ने लिखा है कि उन्हें नहीं पता है कि इन बिंदुओं पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से परामर्श किया गया है और इस तरह के परिपत्र से पहले इन बिंदुओं पर किसी तरह का जोखिम विश्लेषण किया गया है।
सिंह ने आगे कहा है कि इससे न केवल भारत सरकार के मेक इन इंडिया अभियान को झटका लगेगा, बल्कि इस क्षेत्र में काम कर रहे लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे।
सीएपीएसआई अध्यक्ष ने कहा कि सीएपीएसआई ने प्रतिस्पर्धा आयोग को भी संपर्क किया है।