IANS

देश में थॉयराइड से 4.2 करोड़ लोग प्रभावित

नई दिल्ली, 24 मई (आईएएनएस)| भारत में थॉयराईड डिसऑर्डर तेजी से बढ़ रहा है। देश में 4.2 करोड़ लोग हाइपोथॉयराइडिज्म, हाइपरथॉयराइडिज्म, हाशिमोटो थॉयराइडिटिस और थायरॉइड कैंसर जैसी थॉयराइड से जुड़ी बीमारियों के शिकार हैं।

एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है। अध्ययन के मुताबिक, भारत में हर 10 व्यस्कों में से एक व्यक्ति हाइथॉयराइडिज्म का शिकार है। महिलाओं में यह समस्या तीन गुना अधिक पाई जाती है। डायबिटीज से पीड़ित हर तीन में एक मरीज थॉयराइड की किसी न किसी समस्या से पीड़ित है और 44.3 फीसदी गर्भवती महिलाएं गर्भधारण के पहले तीन महीनों में हाइपोथॉयराइडिज्म से पीड़ित हो जाती हैं।

जेपी हॉस्पिटल के एंडोक्राइनोलोजी विभाग की सीनियर कन्सलटेन्ट और को-ऑर्डिनेटर डॉ. निधी मल्होत्रा ने इस बारे में बताया, थॉयराइड एक तितली के आकार की ग्लैंड है जो हमारी गर्दन के सामने वाले हिस्से में होती है। यह शरीर के एंडोक्राइन सिस्टम का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इससे निकलने वाले हॉर्मोन शरीर के विभिन्न अंगों के कार्यों को प्रभावित करते हें। थॉयराइड हॉर्मोन शरीर की मेटाबोलिक रेट पर नियन्त्रण बनाए रखता है।

उन्होंने कहा, थॉयराइड के एक तिहाई मरीज अपनी बीमारी के बारे में जानते तक नहीं हैं। इसका कारण यह है कि थॉयराइड के लक्षण बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करते हैं। हाइपोथॉयराइडिज्म एंडोक्राइन सिस्टम की बीमारी है, जिसमें थॉयराइड ग्लैंड पर्याप्त मात्रा में थॉयराइड हॉर्मोन नहीं बना पाती।

थॉयराइड के लक्षणों के बारे में डॉ. निधी मल्होत्रा ने बताया, आप अपने आप को अक्सर थका हुआ महसूस करेंगे। सुस्ती आना इस बीमारी का सबसे बड़ा लक्षण है, आपका वजन बढ़ सकता है, आपको कब्ज और अन्य गैस्ट्रो-इंटेस्टाइनल बीमारियां हो सकती हैं, आपको हर समय बहुत ज्यादा ठंड लग सकती है। हाथों और पैरों में सूजन आ सकती है, पेशियों में दर्द और ऐंठन हो सकता है, कुछ महिलाओं में लम्बे समय तक या अनियमित रूप से खून आने की समस्या हो सकती है। कुछ मामलों में गर्भधारण में मुश्किल आती है।

थॉयराइड की समस्याओं के कारण थॉयराइड ग्लैंड में सूजन आ जाती है, जिसे गॉयटर कहा जाता है। यह थॉयराइड की आम बीमारी है। अगर आपको थॉयराइड गॉयटर है तो आपको निगलने में परेशानी हो सकती है, सांस लेने में परेशानी हो सकती है, आवाज में घरघराहट हो सकती है।

इस समस्या के समाधान के लिए आपको अपने आहार में पर्याप्त मात्रा में आयोडीन का सेवन करना चाहिए। इस बारे में कोई प्रमाण नहीं मिले हैं कि पत्तागोभी, ब्रॉक्ली, गोभी, पालक और सोया उत्पादों के सेवन से थॉयराइड की गतिविधियों में बाधा आती है। लेकिन बेहतर होगा कि थॉयराइड की दवा लेने के बाद कम से कम चार घंटे तक इन उत्पादों या आयरन एवं कैल्सियम सप्लीमेंट का सेवन न करें। हाइपरथॉयराइड के मरीज को अपने आहार में पर्याप्त मात्रा में फाइबर का सेवन करना चाहिए। सब्जियों, फलों, मेवों और साबुत अनाज का सेवन भरपूर मात्रा में करें।

डॉ. निधी मल्होत्रा ने इसके बचाव के बारे में बताते हुए कहा, अगर आप थॉयराइड की बीमारी से पीड़ित हैं तो डॉक्टर की सलाह लें। थॉयराइड की बीमारियों का इलाज संभव नहीं है लेकिन इसे नियन्त्रण में रखा जा सकता है। नियमित रूप से थॉयराइड की जांच कराएं, खूब पानी पीएं ताकि शरीर का तापमान नियन्त्रित बना रहा है। हाइपोथॉयराइड के मरीज को रोजाना 8-10 गिलास पानी पीना चाहिए, इससे इससे शरीर का मेटाबोलिज्म तेज हो जाता है।

उन्होंने बताया, नियमित रूप से व्यायाम करने से शरीर में इंसुलिन का स्तर सामान्य बना रहता है। आप कुछ कार्डियौवैस्कुलर व्यायाम, वेट ट्रेनिंग व्यायाम कर सकते हैं। व्यायाम करने से थॉयराइड के इलाज में सहायता मिलती है और दवा ज्यादा असर करती है। थॉयराइड के मरीज को धूम्रपान और शराब का सेवन तुरंत बंद कर देना चाहिए। शराब के सेवन से थॉयराइड ठीक से काम करना बंद कर देती है।

डॉ. निधी मल्होत्रा ने कहा कि अपने आप दवा लेने से गलत दवा या गलत खुराक लेने की संभावना बढ़ जाती है। जरूरत से ज्यादा दवा लेना मरीज के लिए घातक हो सकता है। इसलिए व्यक्ति को डॉक्टर की सलाह से जांच और निदान के बाद ही दवा लेनी चाहिए।

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