मिशन रिस्पना से ऋषिपर्ण में एक ही दिन में होगा 2.5 लाख पौधों का वृक्षारोपण
गिनीज बुक ऑफ विश्व रिकॉर्ड में भी दर्ज हो सकता है यह अभियान
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शुक्रवार को महानगर बीजेपी कार्यालय परेड ग्राउण्ड से जनता और राजनीतिक दलों से अपील की है कि 19 मई शनिवार को शुरू होने वाले रिस्पना नदी के पुनर्जीवीकरण के लिए चलाए जा रहे अभियान ‘मिशन रिस्पना से ऋषिपर्ण’ में अधिक से अधिक संख्या में भाग लें।
अगले महीने 19 मई 2018 को रिस्पना नदी के पुनर्जीवीकरण अभियान के तहत वृक्षारोपण के लिए गढ्ढे खोदे जाएगे। जुलाई के तीसरे सप्ताह में नदी के उद्गम शिखर फॉल से संगम मोथरोवाला तक एक ही दिन में सम्पूर्ण वृक्षारोपण किया जाएगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि सभी राजनीतिक दलो को भी इस अभियान में सक्रिय भागीदारी करनी चाहिए। रिस्पना के पुनर्जीवीकरण का अभियान कोई राजनीतिक मुद्या नही है, बल्कि यह हमारे आने वाली पीढ़ी के भविष्य के लिए है।
रिस्पना नदी में वृक्षारोपण के तहत नदी के उद्गम लंढौर से मोथरोवाला तक एक ही दिन में 2.5 लाख पौधो का वृक्षारोपण किया जाएगा। इनमें 30 प्रतिशत फलदार पेड़ होंगे, जो पशु, पक्षियों व वन्य जीवों के लिए भी लाभकारी होंगे। इस वृक्षारोपण के लिए सम्पूर्ण नदी तट पर ब्लॉक बनाए गए हैं। पौध रोपण क्षेत्र को छोटे- छोटे ब्लॉक में बांटा गया है। हर ब्लॉक 2,500 वर्ग मीटर का है,जिसमें 250 पौधे लगाए जाएंगें, यह काम दो चरणों में किया जाएगा।
”अगले वर्ष तक लगभग 900 करोड़ रूपए की लागत के सौंग बांध की भी नींव रख दी जाएगी। सौंग बांध से पूरे देहरादून को ग्रेविटी बेस्ड पानी की आपूर्ति की जाएगी। मलढुंगा से पुरे सेलाकुई तक भी ग्रेविटी बेस्ड पानी पहुंचाया जाएगा। इसके साथ ही इस परियोजना से 100 करोड़ रूपए की बिजली का खर्च भी बचेगा।” मुख्यमंत्री ने आगे कहा।
इस योजना के पहले चरण में शनिवार 19 मई 2018 को गढ्ढे खोदे जाएंगे, फिर दूसरे चरण में जुलाई 2018 के दूसरे हफ्ते में पौधे रोपे जाएंगे। मिशन रिस्पना पूरी तरह से वॉलियन्टर्स द्वारा श्रमदान से चलाया जाएगा। रिस्पना के किनारे बसे गांव, मोहल्ले व हर व्यक्ति को इस अभियान से जोड़ने के प्रयास किए जा रहे है। इसमें सेना के ईको टास्क फोर्स, पुलिस, वन विभाग, एनजीओ, संस्थाओं, विद्यालयों, नागरिकों और एलबीएसएनएए के प्रक्षिशु आईएएस अधिकारियों द्वारा भी सहयोग किया जाएगा।यह अभियान गिनीज बुक ऑफ विश्व रिकॉर्ड में भी दर्ज हो सकता है।