कर्नाटक में त्रिशंकु विधानसभा के बाद सभी की नजरें राज्यपाल पर
बेंगलुरु, 15 मई (आईएएनएस)| कर्नाटक विधानसभा चुनावों में त्रिशंकु विधानसभा के नतीजे के बाद मंगलवार को सभी की निगाहें कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला पर टिक गईं। राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और आनन-फानन में बने कांग्रेस व जेडीएस गठबंधन ने सरकार बनाने का दावा पेश किया है। भाजपा कर्नाटक चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है लेकिन 224 सदस्यीय विधानसभा में जादुई आंकड़ा हासिल करने में विफल रही।
कर्नाटक में दो निर्वाचन क्षेत्रों में शनिवार को मत नहीं डाले गए थे।
निर्वाचन आयोग के आंकड़े के मुताबिक, भाजपा 104 सीटों तक पहुंच सकती है। यह बहुमत से आठ सीट कम है।
कांग्रेस मणिपुर व गोवा की गलतियों से सीखती हुई प्रतीत हुई। इन दोनों राज्यों में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बाद कांग्रेस ने देर से प्रतिक्रिया की थी और भाजपा को छोटी पार्टियों के साथ गठजोड़ कर सरकार बनाने का पर्याप्त समय दे दिया था।
कर्नाटक में कांग्रेस ने 78 सीटों पर जीत हासिल की और आश्चर्यजनक तौर पर जनता दल (सेक्युलर) को अपने समर्थन की घोषणा की। राज्य विधानसभा चुनावों में जेडीएस 37 सीटों के साथ तीसरे नंबर की पार्टी बनी है।
कांग्रेस के महासचिव गुलाम नबी आजाद ने मीडिया से कहा कि जेडीएस व कांग्रेस राज्यपाल से मिलेंगे और सरकार बनाने का दावा करेंगे। आजाद के साथ निर्वतमान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया भी मौजूद थे।
पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी देवेगौड़ा की अगुवाई वाली जेडीएस ने फौरन कांग्रेस के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और सरकार बनाने के दावे के साथ राज्यपाल को पत्र लिखा।
इसके बाद जेडीएस नेता व पूर्व मुख्यमंत्री एच.डी.कुमारस्वामी व कांग्रेस के सिद्धारमैया ने राज्यपाल से मुलाकात की और सरकार बनाने का दावा पेश किया।
कुमारस्वामी ने कहा, मैंने सरकार बनाने के लिए कांग्रेस का समर्थन स्वीकार किया है।
यह घटनाक्रम भाजपा नेता व मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बी. एस. येदियुरप्पा के राज्यपाल से मुलाकात करने व कर्नाटक विधानसभा में बहुमत साबित करने का मौका देने का आग्रह करने के बाद हुआ। येदियुरप्पा के साथ केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार भी राज्यपाल से मिलने गए थे।
गेंद अब राज्यपाल के पाले में है। सामान्य प्रथा के अनुसार, राज्यपाल सबसे बड़े दल के नेता या चुनाव पूर्व गठबंधन को सरकार बनाने के लिए बुलाते हैं।
त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में सदन में नेता को एक नियत समय में बहुमत साबित करने को कहा जाता है।
कर्नाटक में कांग्रेस व जेडीएस का चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं था। यह राज्यपाल पर है कि वह किसको पहले बुलाते हैं।
भाजपा के दिन भर के रुझानों में नाटकीय रूप से बदलाव व ऊपर-नीचे होने से पार्टी के जश्न को किरकिरा कर दिया और दक्षिण में सरकार बनाने की उम्मीदों को थोड़ा बिगाड़ दिया है। कर्नाटक में सरकार के जरिए भाजपा दक्षिण भारत में अपनी पैठ का विस्तार करना चाहती है।
भाजपा सूत्रों के अनुसार, तीन वरिष्ठ मंत्रियों धर्मेद्र प्रधान, प्रकाश जावड़ेकर व जे.पी. नड्डा स्थानीय नेतृत्व के साथ रणनीति बनाने पहुंचे।
भाजपा प्रवक्ता शांताराम ने कहा कि गठबंधन सरकार बनाने के लिए जनता दल (सेक्युलर) को समर्थन देना ‘पराजित कांग्रेस की हताशा’ है। शांताराम ने कहा कि उनकी पार्टी के पास जेडीएस से गठबंधन का या नई सरकार बनाने के लिए इसका समर्थन लेने का विकल्प खुला है।
उन्होंने कहा, सभी नतीजों की घोषणा के बाद यदि जरूरत हुई तो हमारे पास जेडीएस से समर्थन का विकल्प खुला है। हमारा जेडीएस से संपर्क सदन में विश्वास मत के दौरान बहुमत साबित करने के लिए विधायकों की संख्या की जरूरत पर निर्भर होगा।
इससे पहले दिन में भाजपा के नेताओं व कार्यकर्ताओं ने जोर-शोर से बेंगलुरू व नई दिल्ली में जश्न मनाया और झंडे लहराए व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व अमित शाह के समर्थन में नारे लगाए।