IANS

अफसर के पक्ष में लिखे पत्र के लीक होने पर भड़कीं उमा

भोपाल 12, मई (आईएएनएस)| केंद्रीय मंत्री उमा भारती यहां लगभग एक दशक बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ किसी सरकारी कार्यक्रम में शनिवार को मंच साझा कर रही हैं, और इसी दौरान उनके द्वारा एक अधिकारी के पक्ष में लिखा गया पत्र लीक हो जाने से वह काफी नाराज हो उठी हैं। उन्होंने एक के बाद एक छह ट्वीट कर इस घटना पर अपना गुस्सा जाहिर किया है।

केंद्रीय पेयजल और स्वच्छता मंत्री उमा भारती यहां राज्यस्तरीय स्वच्छता सम्मेलन में हिस्सा ले रही हैं। स्थानीय मीडिया में आज ही एक समाचार छपा है। यह समाचार उमा भारती द्वारा अपने पूर्व अतिरिक्त निजी सचिव (डिप्टी कलेक्टर स्तर के अधिकारी) विनय निगम के संदर्भ में मुख्यमंत्री चौहान को 22 मार्च, 2018 लिए गए एक पत्र पर आधारित है। निगम का नाम आईएएस की पदोन्नति सूची में न भेजे जाने पर इस पत्र के जरिए उमा ने अपनी नाराजगी जाहिर की है।

उमा भारती द्वारा लिखे गए पत्र की प्रति आईएएनएस के पास उपलब्ध है, जिसे उन्होंने गंगोत्री से 22 मार्च, 2018 को लिखा था।

पत्र में कहा गया है, वर्ष 1999 में भोपाल से लोकसभा का चुनाव जीतने के बाद से ही विनय निगम मेरे साथ काम कर रहे हैं। भाजपा के अनुरोध और हमारी विचारधारा का होने और स्वच्छ छवि का युवा अधिकारी होने के कारण उन्हें अपना अतिरिक्त पीएस बनाया था। उसके बाद राज्य की राजनीति में आए बदलाव के चलते वर्ष 2005 में मुझे पार्टी से निकाल दिया गया। पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत से निगम मेरे ओएसडी बने रहे।

भारती ने अपने पत्र में लिखा है, 2005 के बाद उनके (निगम) खिलाफ झूठी मनगढ़ंत शिकायत लोकायुक्त के पास भेजने की तैयारी की गई। इसकी जब भनक लगी तब आपके (शिवराज) निजी सचिव इकबाल सिंह को बुलाया, उनसे चर्चा हुई, उसके बाद भी मामला लोकायुक्त को भेजा गया। तब मुझे गहरा आघात लगा था। दोबारा मंत्री बनने के बाद निगम फिर मेरे साथ काम करते रहे। आपसे (शिवराज) हुई चर्चा के बाद उन्हें राज्य सेवा में वापस भेजा, ताकि उन्हें सही समय पर आईएएस अवार्ड हो जाए और अड़चन न आए। उसके बाद जो डीपीसी हुई, उसमें निगम का नाम नहीं भेजा गया, जिसका मुझे अचंभा हुआ।

इस पत्र के स्थानीय मीडिया में लीक हो जाने को उमा ने अपने खिलाफ साजिश करार दिया है। उन्होंने कहा है कि यह सब उनके कार्यक्रम को खराब करने के लिए किया गया है। उमा ने इस मुद्दे पर एक बाद एक छह ट्वीट किए हैं।

उमा ने एक ट्वीट में कहा, हमारे प्रधानमंत्री तथा केंद्र सरकार के इतने महत्वपूर्ण कार्यक्रम को खराब करने की कुचेष्टा के तहत मार्च के अंतिम सप्ताह में उत्तराखंड से मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री को लिखे गए मेरे एक पत्र को एक समाचार पत्र में प्रकाशित किया गया है और एक टीवी चैनल में दिखाया जा रहा है।

वह आगे लिखती हैं, कमाल यह है कि पत्र लिखने का दिन और महीना खबर से गायब कर दिया गया है, और पत्र के अलग-अलग वाक्यों को जोड़कर एक समाचार बना दिया गया है। इससे पत्र के असली तथ्य ही गायब हो गए हैं और इस तथ्य पर तो अदालत ने भी अपनी राय दे दी है। इसलिए पत्र तथा उसका प्रसंग आज के संदर्भ में अपना अस्तित्व खो चुके हैं। किंतु, महत्वपूर्ण बात यह है कि आज का दिन इसके लिए क्यों चुना गया? यह हमारे केंद्र सरकार की छवि को खराब करने का प्रयास है तथा हमारे प्रधानमंत्री की महत्वपूर्ण उपलब्धि से ध्यान हटाने का प्रयास है।

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में लिखा है, कार्यक्रम की गरिमा एवं महत्व को कम करने के लिए किसी दूसरे संदर्भहीन हो गए विषय को उठाने के इस अनैतिक प्रयास की मैं निंदा करती हूं। मेरी मीडिया के सभी वगोर्ं से अपील है कि आज इस घोर अनैतिक चेष्टा की अनदेखी कीजिए। मैं कल भोपाल में हूं, इस विषय पर कल बात करूंगी।

उमा ने जो पत्र लिखा था, उसमें मुख्यमंत्री के करीबी अधिकारी एस. के. मिश्रा से हुई बातचीत का भी जिक्र है। इस पत्र के सामने आने के बाद सियासी गलियारे में चर्चा का दौर जारी है।

Show More

Related Articles

Back to top button
Close
Close