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कच्चे तेल के दाम में बनी रहेगी अस्थिरता : विशेषज्ञ

नई दिल्ली, 12 मई (आईएएनएस)। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में पिछले दिनों रही अस्थिरता अभी बनी रहेगी क्योंकि ईरान के साथ परमाणु समझौते से अमेरिका के अलग हो जाने के बाद भूराजनीतिक तनाव और गहराने की संभावना है, जिसका असर तेल के दाम पर पढ़ेगा। आकलन है कि ब्रेंट क्रूड का भाव अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अगले दो महीने 70-80 डॉलर प्रति बैरल के बीच बना रहेगा।

ऊर्जा विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा के मुताबिक, तेल के दाम में मौजूदा उतार-चढ़ाव मांग व आपूर्ति के कारण नहीं बल्कि भूराजनीतिक तनाव के कारण देखा जा रहा है।

उन्होंने कहा, ईरान के साथ परमाणु समझौते से अमेरिका के अलग होने की घोषणा के पहले ही बेंट्र क्रूड का भाव चार डॉलर प्रति बैरल बढ़ गया था। क्योंकि सबको मालूम था कि ट्रंप क्या फैसला लेने वाले हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिकी फैसले से ब्रेंट क्रूड के दाम में सात डॉलर प्रति बैरल का इजाफा हुआ है और आगे सबकी नजर ईरान की प्रतिक्रिया पर होगी।

तनेजा ने कहा, देखने वाली बात यह होगी कि यूरोप अमेरिका के खिलाफ जाकर ईरान का साथ देता है और इसमें कितना कामयाब होता है क्योंकि इस बात की संभावना कम है कि ईरान के मसले में यूरोप अमेरिका पर दबाव बनाने में कामयाब होगा। उन्होंने कहा कि यूरोपीय देशों का आर्थिक व राजनीतिक हित अमेरिका के साथ जुड़ा हुआ है जिसके कारण यूरोप बहुत समय तक ईरान के साथ खड़ा नहीं हो सकता है।

तनेजा का आकलन है कि ब्रेंट क्रूड का भाव अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अगले दो महीने 70-80 डॉलर प्रति बैरल के बीच बना रहेगा।

अंतर्राष्ट्रीय कमोडिटी बाजार इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज (आईसीई) पर शुक्रवार को ब्रेंट क्रूड का जुलाई एक्सपायरी वायदा 0.62 फीसदी की कमजोरी के साथ 76.99 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ। जबकि न्यूयार्क मर्के टाइल एक्सचेंज (नायमेक्स) पर अमेरिकी क्रूड डब्ल्यूटीआई का जून एक्सपायरी वायदा 1.18 फीसदी की गिरावट के साथ 70.52 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ।

हालांकि भारतीय वायदा बाजार मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर शुक्रवार को कच्चे तेल के दाम में तेजी बनी रही और मई वायदा 4,824 रुपये प्रति बैरल की ऊंचाई तक उछला जबकि कारोबार के अंत में 36 रुपये की बढ़त के साथ 4,793 रुपये प्रति बैरल पर बंद हुआ।

कच्चे तेल के भाव में शुक्रवार को गिरावट अमेरिका में कच्चे तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी की रिपोर्ट के बाद आई।

केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर विजय केडिया के मुताबिक, कच्चे तेल के दाम में बढ़ोतरी के साथ अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार के कारण डॉलर में मजबूती बनी रह सकती है जिससे भारत में कच्चे तेल का आयात महंगा होगा।

केडिया ने भी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में उठा-पटक बने रहने की संभावना जताई। उन्होंने कहा कि भूराजनीतिक दबाव गहराता जा रहा है जिससे तेल के दाम में अस्थिरता बनी रहेगी। केडिया के मुताबिक, इस महीने ब्रेंट क्रूड 74-80 डॉलर प्रति बैरल और डब्ल्यूटीआई 68-73 डॉलर प्रति बैरल रह सकता है।

विजय केडिया ने कहा कि आमतौर पर जून में अमेरिका में रखरखाव के मद्देनजर रिग (तेल कुआं) कुछ दिनों के लिए बंद किए जाते हैं। ऐसे में अगर कुछ रिग बंद होते हैं तो तेल का उत्पादन घटेगा जिससे कीमतों में बढ़ोतरी होगी।

उन्होंने कहा कि ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध के कारण तेल की आपूर्ति प्रभावित होने की संभावनाओं से कीमतों में तेजी देखी जा रही है। उधर, ईरान के पेट्रोलियम मंत्री बिजान नामदार जंगेनेह ने कहा है कि 2015 के ईरान परमाणु समझौते से अमेरिका के अलग हो जाने का तेल उद्योग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

जंगेनेह ने कहा, मेरा मानना है कि अमेरिका के समझौते से निकल जाने से ईरान के तेल निर्यात पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के परमाणु समझौते को यह कहते हुए छोड़ दिया कि वाशिंगटन तेहरान को उनके ऊपर लगे प्रबिंध में आगे कोई छूट नहीं देगा।

बेकर हग के अनुसार, अमेरिका में इस सप्ताह तेल के 10 और गैस के तीन नए कुओं के शामिल होने से तेल के कुल कुओं की संख्या 1,045 हो गई है जोकि पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 160 ज्यादा है।

ऊर्जा की खबरों के लिए समर्पित वेबसाई ऑलप्राइस डॉट कॉम की शुक्रवार की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में तेल का उत्पादन चार मई को समाप्त हुए सप्ताह में 107.03 लाख बैरल रोजाना दर्ज किया गया। अमेरिकी ऊर्जा एजेंसी ईआईए के अनुसार, तेल के उत्पादन में 2018 और 2019 में इजाफा हो सकता है। अमेरिका में इस साल 107 लाख बैरल रोजाना उत्पादन होने की उम्मीद है जबकि 2019 में अमेरिका में रोजाना 119 लाख बैरल तेल का उत्पादन होने की उम्मीद है।

वहीं, ओपेक देशों ने ईरान के उत्पादन में कमी को भरने के लिए तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी करने की प्रतिबद्धता जाहिर की है।

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