कठुआ दुष्कर्म मामला पठानकोट स्थानांतरित
नई दिल्ली, 7 मई (आईएएनएस)| सर्वोच्च न्यायालय ने जम्मू एवं कश्मीर के कठुआ में आठ वर्षीय बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उसके बाद उसकी हत्या किए जाने के मामले की सुनवाई पंजाब के पठानकोट स्थानांतरित करने का आदेश सोमवार को दिया और कहा कि ‘भय और निष्पक्ष सुनवाई एक साथ नहीं हो सकती।’ प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा ने इस मामले की सुनवाई बंद कमरे में और रोजाना आधार पर करने के भी निर्देश दिए।
अदालत ने कहा कि बंद कमरे में सुनवाई का आदेश इसलिए दिया गया है ताकि गवाह खुद को महफूज और आरोपी सुरक्षित महसूस करें। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि वह समय-समय पर मामले और इसके मुकदमे की निगरानी करेगा। न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई नौ जुलाई को मुकर्रर कर दी।
सर्वोच्च न्यायालय ने मामले को कठुआ से 25 किलोमीटर दूर पंजाब के पठानकोट स्थानांतरित करने के अपने आदेश में कहा, संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत मामले की सही सुनवाई एक अटल सिद्धांत है।
पीठ ने कहा कि पठानकोट जिला व सत्र न्यायाधीश मुकदमे को अपने पास रख सकते हैं, जबकि जम्मू एवं कश्मीर सरकार को सरकारी वकील नियुक्त करने की इजाजत है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि मुकदमा रणबीर पैनल कोड के प्रावधानों के अंतर्गत चलेगा, जो कि जम्मू एवं कश्मीर की अपराध संहिता है।
राज्य सरकार को पीड़िता के परिजनों, उनके वकील और गवाहों को सुरक्षा मुहैया कराने के आदेश दिए गए हैं।
पीड़िता के पिता की याचिका पर मामले की सुनवाई कठुआ से स्थानांतरित करने का फैसला किया गया।
जम्मू एवं कश्मीर के कठुआ जिले के रासाना गांव में खानाबदोश समुदाय की एक आठ वर्षीय लड़की 10 जनवरी को लापता हो गई थी। उसका शव एक सप्ताह बाद उसी क्षेत्र से बरामद हुआ था।
मामले की जांच कर रही जम्मू एवं कश्मीर की अपराध शाखा ने पहले ही मामले में आरोप-पत्र दाखिल कर दिए हैं, जिसमें कहा गया है कि आठ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। आरोपियों में दो पुलिसकर्मी, एक नाबालिग और भारतीय राजस्व सेवा विभाग का एक पूर्व अधिकारी शामिल है।
पीड़िता के पिता की तरफ से अपनी बात रख रही वकील-सामाजिक कार्यकर्ता दीपिका सिंह राजावत ने कहा कि नाबालिग के परिवार को धमकाया जा रहा है।
राजावत ने यह भी आरोप लगाया कि जम्मू बार एसोसिएशन के सदस्य उसे धमका रहे हैं और उनसे अदालत में पेश नहीं होने के लिए कह रहे हैं। एसोसिएशन ने हालांकि इन आरोपों से इंकार किया है।
दो आरोपियों ने अलग-अलग याचिका में मामले को सीबीआई को सौंपने की मांग की थी।
लेकिन शीर्ष अदालत ने इन याचिकाओं को ठुकरा दिया और प्रधान न्यायाधीश मिश्रा ने कहा कि जांच पूरी हो चुकी है, और अपराधा शाखा ने नौ अप्रैल को पहले ही आरोप-पत्र दायर कर दिए हैं, लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो हम हमेशा पूरक जांच के लिए तैयार हैं।
पीड़िता के पिता की तरफ से वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिह ने बहस के दौरान कहा कि पुलिस ने बढ़िया काम किया है।
जम्मू एवं कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी मामला सीबीआई को स्थांतरित नहीं करने के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का स्वागत किया।
उन्होंने ट्वीट किया, इससे हमारे पुलिस बल के मनोबल का हौसला बढ़ेगा, जिन्होंने पीड़िता के परिवार को न्याय दिलाने के लिए कोई भी कसर नहीं छोड़ा है।