शहरों के विकास के लिए कार्बन उत्सर्जन कम किया जाए : जीसीओएम
नई दिल्ली, 5 मई (आईएएनएस)| दक्षिण एशिया के शहरों के विकास में साझेदार बनकर जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों की चुनौतियों का सामना करने के मकसद से अंतर्राष्ट्रीय संस्था ग्लोबल कोवनंट ऑफ मेयर्स फॉर क्लाइमेट एंड एनर्जी (जीसीओएम) ने शनिवार को यहां अपने दक्षिण एशिया चैप्टर का आगाज किया।
जीसीओएम ने कहा कि नगरों के दीर्घकालीन विकास के लिए 2020 तक कार्बन उत्सर्जन कम करने की जरूरत है। जीसीओएम का उद्देश्य आनेवाली पीढ़ी को जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से बचाने के लिए शहरों में कार्बन उत्सर्जन को कम करना है। जीसीओएम इस चैप्टर के माध्यम से भारत, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका समेत दक्षिण एशिया के देशों के शहरों में वहां की स्थानीय संस्थाओं व निकायों के सहयोग से 65 फीसदी कार्बन उत्सर्जन कम करने का लक्ष्य हासिल करना चाहता है।
भारत के सूरत और गैंगटोक ने शनिवार को इस मौके पर वैश्विक संगठन के साथ मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की।
ग्लोबल कोवनंट ऑफ मेयर्स की वाइस चेयर और यूनाइटेट नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनसीसीसी) की पूर्व कार्यकारी सचिव क्रिस्टिना फिगूरेस ने कहा, दक्षिण एशिया के नगरों में आर्थिक विकास व रोजगार के अवसर पैदा करने व गुणवत्तापूर्ण जीवन में सुधार लाने की जरूरत है। साथ ही यह भी सुनिश्चित करना है कि हमारे नगरों व अन्य इलाकों में दीर्घकालीन विकास के लिए 2020 तक कार्बन उत्सर्जन कम किया जाए।
यूरोपीय संघ के राजदूत टॉमास्ज कोज्लोवस्की ने कहा, हम अंतर्राष्ट्रीय पहल से सफलतापूर्वक दक्षिण एशिया चैप्टर का आगाज होने से प्रसन्न हैं। यूरोपीय संघ के कोष से संचालित अंतर्राष्ट्रीय शहरी सहयोग परियोजना के माध्यम से ईयू दक्षिण एशियाई सचिवालय जीसीओएम सामग्री का विकास करेगा और यूरोपीय संघ व शहरी नेटवर्क के उत्तम कार्यों से प्रेरित तकनीकी औजारों व वैज्ञानिक समीक्षा में मदद करेगा।
जीसीओएम के मुताबिक, भारत के शहरों की आबादी 2030 तक 20 करोड़ बढ़ जाएगी। देश की भावी शहरी योजना और उसके कार्यान्वयन पर कार्बन उत्सर्जन कम करने की दिशा में अंतर्राष्ट्रीय प्रयासें के वैश्विक जलवायु पर निर्णायक प्रभाव पड़ेगा।
भारत के कई शहरों व राज्यों की ओर से राष्ट्रीय एजेंडा के तौर पर जलवायु कार्य योजना का विकास किया जा रहा है। राजकोट और सूरत में पहले ही शहरी जलवायु पहल शुरू की जा चुकी है।
राजकोट के महापौर जैमिन उपाध्याय ने कहा, दक्षिण एशिया के शहरों में तेजी से बढ़ती आबादी, मौजूदा अवसंरचनाओं पर भारी बोझ, अनौपचारिक आवास, आय की असमानता और जलवायु परिवर्तन का दुष्प्रभाव जैसी चुनौतियां हैं। इन चुनौतियों का मुकाबला समेकित तरीके से ही किया जा सकता है। स्थानीय स्तर पर हम जलवायु पर्विन को लेकर जो कदम उठा रहे हैं उनसे बेहतर गुणवत्ता का जीवन स्तर और आर्थिक विकास होगा।
ग्वालियर के महापौर विवेक नारायण शैजवाल्कर ने कहा कि जलवायु कार्ययोजना में निवेश ऐसा मौका है जिससे भारतीय शहरों में अधिक लचीला व निवास योग्य व्यवस्था कायम होगी।