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बास्टेकबाल : राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय टीम में तालमेल की कमी : अमज्योत

नई दिल्ली, 28 अप्रैल (आईएएनएस)| भारतीय बास्केटबाल टीम के खिलाड़ी अमज्योत गिल ने माना कि आस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में हुए 21वें राष्ट्रमंडल खेलों में खाराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी पूरी भारतीय टीम है।

भारत ने टूर्नामेंट के शुरुआती चरण में पांच मैच खेले और सभी में उसे हार का सामना करना पड़ा।

अमज्योत ने यहां प्रो-बास्केटबाल के लॉन्च के दौरान आईएएनएस से कहा, हमारे बीच तालमेल सही नहीं था। अर्मितपाल कहीं और खेल रहे थे और हमें एकसाथ ट्रेनिंग करने का मौका नहीं मिला। फिर अचानक अर्मित चोटिल हो गए इसलिए हमारी टीम में तालमेल की कमी नजर आई।

अमज्योत ने कहा, मैं हमारे प्रदर्शन से खुश नहीं हूं। अगर हम साथ में ट्रेनिंग करते तो हम अच्छा कर सकते थे।

खराब प्रदर्शन के बावजूद 26 वर्षीय पावर फारवर्ड अमज्योत ने टूर्नामेंट में 59 अंक अर्जित किए।

सतनाम सिंह के बारे में पूछे जाने पर अमज्योत ने कहा, सतनाम एक बेहतरीन खिलाड़ी हैं लेकिन कभी-कभी खिलाड़ी अच्छा खेलते और कभी-कभी अपना सौ प्रतिशत नहीं दे पाते।

भारत में बास्केटबाल के सबसे छोटे प्रारूप के अधार पर लीग शुरू हो रही है और इसे एफआईबीए की भी मान्यता प्राप्त है। लीग के मैचों में एक समय पर कोर्ट में एक टीम की तरफ से केवल तीन खिलाड़ी की उतरेंगे। इस लीग में कुल 12 टीमें होंगी

इस प्रारूप को 2020 टोक्यो ओलम्पिक में भी शामिल किया गया है। अमज्योत ने कहा, इस तरह के प्रारूप से व्यक्तिगत कौशल को भी विकसित करने में मदद मिलेगी और यह पूरी तरह से एक टीम गेम है इसलिए इससे काफी मदद मिलेगी। यह युवा खिलाड़ियों के लिए भी अच्छा मौका है।

अमज्योत ने यह भी कहा कि इस प्रारूप से खिलाड़ियों की तकनीक पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा।

अमज्योत ने कहा, नहीं, मैं समझता हूं कि इस प्रारूप से खिलाड़ियों का व्यक्तिगत कौशल विकसित होगा और इससे उन्हें बड़े प्रारूप में काफी मदद मिलेगी। यह खिलाड़ियों के लिए आसान भी होगा क्योंकि इसमें अधिक तेजी की आवश्यकता होती है। इसलिए अगर आप इस प्रारूप में खेलते हैं तो आपको बड़े प्रारूप में भी काफी मदद मिलेगी।

उन्होंने देश में ग्रास रूट स्तर पर सिस्टम को ठीक करने पर जोर दिया।

अमज्योत ने कहा, ग्रास रूट स्तर पर एक अच्छा सिस्टम होना चाहिए और यह स्कूल से ही शुरू किया जाना चाहिए जैसा कि विदेशों में होता है। मुझे लगता है कि भारत में ग्रास रूट स्तर पर सिस्टम अच्छा नहीं है।

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