वड़ोदरा : डायमंड पॉवर की 1,122 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त
नई दिल्ली, 24 अप्रैल (आईएएनएस)| प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को 2,654.40 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी से जुड़े मामले में वड़ोदरा स्थित डायमंड पॉवर इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड (डीपीआईएल) कंपनी की 1,122 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति जब्त कर ली।
ईडी ने डीपीआईएल व इससे जुड़ी कंपनियों डायमंड पॉवर ट्रांसफार्मर लिमिटेड (डीपीटीएल), डायमंड प्रोजेक्ट्स लिमिटेड, मेफेयर लीजर्स व नार्थवे स्पेसेज की संपत्तियों को जब्त किया है।
ईडी के एक अधिकारी ने कहा, जब्त की गई संपत्तियों में संयत्र, मशीनरी, इमारतें व वड़ोदरा में डीपीटीएल व डीपीआईएल की जमीन व भुज में तीन विंडमिल जब्त की है। इसमें नॉर्थवे स्पेसेज के बिना ब्रिकी के फ्लैट, मेफेयर लीजर्स का एक निर्माणाधीन होटल डीपीआईएल से जुड़ी कंपनियों के भूखंड, सभी को जब्त किया गया है। यह सभी वड़ोदरा में स्थित हैं।
ईडी ने धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत डायमंड पॉवर इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के प्रमोटरों-निदेशकों-सुरेश नारायण भटनागर, उनके दोनों बेटों अमित सुरेश भटनागर व सुमित सुरेश भटनागर की कुछ आवासीय बंगलों व फ्लैट को भी जब्त किया है।
डीपीआईएल केबल व दूसरे बिजली के उपकरणों के व्यापार से जुड़ी है। डीपीआईएल पर कथित तौर पर साल 2008 से धोखाधड़ी से उधार की सुविधा का लाभ लेने का आरोप है। कंपनी पर 29 जून, 2016 तक 2,654.40 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है, जिसे बैंकों के एक संघ व निजी संगठन द्वारा मंजूर किया गया था।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने इनके खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज किए जाने के 23 दिनों बाद 18 अप्रैल को राजस्थान के उदयपुर से तीनों को गिरफ्तार किया था। सीबीआई मामले में भ्रष्टाचार के आरोपों की भी जांच कर रही है।
सीबीआई द्वारा दाखिल प्राथमिकी के आधार पर दायर धनशोधन मामले के तहत ईडी वित्तीय अनियमितताओं की जांच कर रहा है।
ईडी की जांच में अब तक खुलासा हुआ है कि डीपीआईएल कई पक्षों के साथ बड़ी राशि के हेरफेर में लिप्त है। इसमें डीपीआईएल से जुड़े पक्ष भी शामिल हैं, जिन्हें बिना किसी सामान के खरीद या ब्रिकी के बगैर फर्जी बिल जारी किए गए।
उन्होंने कहा, इसे सीईएनवीएटी कर्ज धोखाधड़ी के साथ-साथ वित्तीय रिकार्ड में बैंक के समक्ष कारोबार में बढ़ोतरी को दिखाने की दोहरी मंशा के साथ किया गया। डीपीआईएल ने अपने देनदारों से 1,000 करोड़ रुपये के करीब अपने लेखा खातों में प्राप्त होने की फर्जी प्रविष्टि दिखाई और डीपीआईएल ने इसी लेखा खातों के आधार पर बैंकों से कर्ज लेना जारी रखा।
ईडी ने कहा, इसमें से ज्यादातर आकड़े बढ़ाचढ़ाकर दिखाए गए हैं।
इसमें कहा गया कि डीपीआईएल अपने संबंधित पक्षों के जरिए बैंकों से प्राप्त लेटर ऑफ क्रेडिट सुविधा में गड़बड़ी करके 261 करोड़ रुपये की राशि फर्जी तरीके से प्राप्त करने में सक्षम थी।
इसमें कहा गया, डीपीआईएल ने कर्ज के तौर पर प्राप्त की गई भारी राशि का इस्तेमाल नॉर्थवे स्पेसेज व मेफेयर लीजर्स जैसी रियल एस्टेट कंपनियों में किया।
ईडी ने कहा कि भटनागर परिवार, अपनी वेब कंपनियों व पूरे स्वामित्व के जरिए मुख्य निर्णय निर्माता के तौर पर पाए गए और इस तरह से वे डीपीआईएल व इससे जुड़ी सभी कंपनियों के मालिक हैं।
सीबीआई ने 26 मार्च को डीपीआईएल व इसके निदेशकों के खिलाफ 11 बैंकों के संघ के साथ धोखाधड़ी का एक मामला दर्ज किया। इनके द्वारा लिए गए कर्ज को 2016-17 में गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) घोषित किया गया था।
बैंकों के संघ द्वारा कर्ज सीमा की मंजूरी के समय यह कंपनी भारतीय रिजर्व बैंक की डिफाल्टरों की सूची में तथा एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉर्प ऑफ इंडिया (ईसीजीसीआई) की सतर्कता सूची में शामिल थी, फिर भी यह मियादी कर्ज व ऋण सुविधा हासिल करने में सफल रही थी।
कर्ज देने वालों की सूची में बैंक ऑफ इंडिया 670.51 करोड़ रुपये के साथ शीर्ष पर, इसके बाद बैंक ऑफ बड़ौदा (348.99 करोड़ रुपये), आईसीआईसीआई (279.46 करोड़ रुपये), एक्सिस बैंक (255.32 करोड़ रुपये), इलाहाबाद बैंक (227.96 करोड़ रुपये), देना बैंक (177.19 करोड़ रुपये), कॉरपोरेशन बैंक (109.12 करोड़ रुपये), एग्जिम बैंक ऑफ इंडिया (81.92 करोड़ रुपये), आईओबी (71.59 करोड़ रुपये) व आईएफसीआई (58.53 करोड़ रुपये) शामिल हैं।
सीबीआई की प्राथमिकी में कहा गया है कि डीपीआईएल अपने संस्थापकों व निदेशकों के जरिए विभिन्न बैंकों के अज्ञात बैंक अधिकारियों के साथ आपराधिक साजिश में शामिल रही है। डीपीआईएल ने इन बैंकों के साथ फर्जी खातों, फर्जी दस्तावेजों के जरिए सार्वजनिक धन का दुरुपयोग कर धोखाधड़ी की है।