मोदी और शिवराज ने मंडला में फेंका डैमेज कंट्रोल का जाल
मंडला, 24 अप्रैल (आईएएनएस)| सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए बनाए गए कानून के संदर्भ में किए गए बदलाव के बाद दो अप्रैल को भारत बंद के दौरान भड़की हिंसा से भारतीय जनता पार्टी को होने वाले संभावित नुकसान की भरपाई के लिए मध्यप्रदेश के मंडला जिले में राष्ट्रीय पंचायती दिवस और आदि उत्सव का आयोजन किया।
इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सौगातों की बरसात कर आदिवासियों का सबसे बड़ा हमदर्द बताने की कोशिश की।
समारोह की शुरुआत करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज ने इस बात को स्वीकारा कि पूर्व में राष्ट्रीय पंचायती दिवस कार्यक्रम जबलपुर में आयोजित किए जाने का विचार था, मगर आदि उत्सव के चलते यह कार्यक्रम मंडला में आयोजित किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर गोंड जनजाति की रानी दुर्गावती, अवंती बाई और बिरसा मुंडा के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान का जिक्र किया और कहा कि यह ऐसे सेनानी रहे हैं, जिन्होंने अपने पराक्रम से दुश्मनों का मुकाबला किया और उनके सामने झुकना पसंद नहीं किया। इतना ही नहीं, उन्होंने संकल्प के साथ अपना बलिदान दिया।
वहीं, मोदी ने कहा कि जनजातीय वर्ग के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की गौरव गाथाओं से नई पीढ़ी को परिचित कराने के लिए सांस्कृतिक केंद्रों की स्थापना की जाएगी। साथ ही जनजातीय वर्ग की ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने के प्रयास होंगे।
मोदी ने जनजातीय वर्ग का दिल जीतने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने दिया, उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत गोंडी भाषा से की और लोगों को बधाई भी दी। मोदी के मुंह से गोंडी भाषा सुनकर जनजातीय वर्ग के लोग उत्साहित हो गए और ‘मोदी-मोदी’ के नारे लगाने लगे।
मंडला और आसपास के इलाके के जनजातीय वर्ग के लोगों में इस बात को लेकर नाराजगी रही है कि राज्य सरकार ने हमेशा गोंड राजवंश की धरोहरों को संरक्षित करने के वादे किए, मगर हुआ कुछ नहीं। यही कारण था कि आदिवासी महापंचायत ने इस बार आदि उत्सव के बहिष्कार का फैसला किया था।
बात जब सरकार तक गई तो उसने आदिवासियों को रिझाने का दांव खेलने का मन बनाया। वहीं दूसरी ओर दो अप्रैल की हिंसा और सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से भी आदिवासियों में असंतोष है।
इस मौके पर मुख्यमंत्री शिवराज ने मोती महल और रानी महल को संरक्षित किए जाने का ऐलान किया, उनके जीर्णोद्धार का भी भरोसा दिलाया। साथ ही आदिवासियों के विकास के लिए रोडमैप बनाने का ऐलान किया। इसकी एक पुस्तिका भी प्रधानमंत्री के हाथों लोकार्पित कराई, जिसमें आगामी पांच वर्षो में दो लाख करोड़ रुपये आदिवासियों के विकास पर खर्च करने का वादा किया गया है। कहा गया है कि गोंड संस्कृति के विकास के लिए संस्थान स्थापित किए जाएंगे और धरोहरों को संरक्षित किया जाएगा।
मोदी और शिवराज ने गोंड राजवंश के शंकर शाह, रघुनाथ शाह और हृदय शाह के योगदान को भी याद किया। साथ ही उनके पराक्रम को याद किया।
राजनीति के जानकार मानते हैं कि मंडला में आदि उत्सव का आयोजन और राष्ट्रीय पंचायत दिवस के कार्यक्रम का पूरे देश की ढाई लाख पंचायतों में सीधा प्रसारण किए जाने के पीछे भाजपा और प्रधानमंत्री की मंशा गांव और गरीब के साथ आदिवासियों तक अपनी बात पहुंचाने का था। शिवराज ने कहा भी कि ‘प्रधानमंत्री का दिल गरीबों के लिए धड़कता है।’ साथ ही इस मौके के बहाने एससी/एसटी एक्ट को कमजोर किए जाने के बाद पनपी हिंसा और असंतोष पर उन्हें इशारों में अपनी बात भी कहनी थी।