IANS

दुष्कर्मियों को फांसी से कम मंजूर नहीं था : स्वाति मालीवाल

नई दिल्ली, 23 अप्रैल (आईएएनएस)| ‘छोटी बच्चियों के साथ रेप की बढ़ रही घटनाओं ने मुझे झकझोर दिया है। मैंने ठान लिया था कि चाहे कुछ भी हो जाए, बच्चियों के दुष्कर्मियों को फांसी दिलवाकर रहूंगी।’

यह कहना है दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल का। उन्होंने यह बात अनशन तोड़ने से पहले कही थी।

रविवार, अनशन का 10वां दिन। समय : पूर्वाह्न् 11.30 बजे। ‘स्वाति मालीवाल जिंदाबाद’ और ‘देश की बेटी कैसी हो, स्वाति मालीवाल जैसी हो’ के नारे लग रहे थे। अनशन तोड़ने के लिए तय समय दो बजने का इंतजार हो रहा था। नौ दिनों तक अन्न त्यागने के कारण बेहद कमजोर दिख रहीं स्वाति मंच के पीछे डाले गए एक तख्त पर लेटी हुई थीं। चिकित्सकों ने उनके स्वास्थ्य की जांच की। वजन मापा गया, तो पता चला कि सात किलो घट गया है।

चिकित्सकों के रुखसत होने के बाद आईएएनएस से मुखतिब हुईं स्वाति ने धीमी आवाज में कहा, हमारी लगभग सभी मांगें मानी गई हैं, जो बची हैं, उसके लिए सरकार ने तीन माह का समय मांगा है। यदि तीन माह में पूरी नहीं हुई तो देश एक और जनांदोलन देखेगा।

उन्होंने अपनी बात आगे बढ़ाई, मुझे यकीन था कि हमारी हार नहीं होगी। बच्चियों से यौन अपराध के दोषियों को मृत्युदंड दिए जाने संबंधी अध्यादेश को राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने की खुशी है, संघर्ष रंग लाया है। हमें मृत्युदंड से कम कुछ भी मंजूर नहीं था।

स्वाति बीते 10 दिनों से राजघाट से ही अपने कार्यालय का कामकाज संभाल रही थीं। वह खुश हैं कि अब नए जोश के साथ कार्यालय जाकर जिम्मेदारियां संभाल पाएंगी।

उन्होंने कहा, ऑफिस लौटने की खुशी है। हालांकि, यहीं से हम सारा कामकाज कर रहे थे, लेकिन अब नई ऊर्जा के साथ काम कर पाएंगे।

स्वाति ने इससे पहले संवाददाताओं से कहा था, मैं बहुत जिद्दी हूं, तय कर लिया था कि बदलाव तो हर हाल में लाना है।

बच्चियों से दुष्कर्म के दोषियों को छह महीने में फांसी की सजा सहित कुल छह मांगों को लेकर 13 अप्रैल से राजघाट के समता स्थल पर बैठीं स्वाति ने केंद्र सरकार के अध्यादेश में संशोधन और राष्ट्रपति के इसे मंजूरी देने के बाद अपना अनशन तोड़ दिया, लेकिन उन्होंने सरकार को दो टूक भी जवाब दिया है कि वह जिद्दी हैं और हर कीमत पर लाकर बदलाव लाकर रहेंगी।

इस पूरे अनशन के दौरान स्वाति का वजन भले ही लगभग सात किलो कम हो गया, लेकिन उनका आत्मविश्वास बढ़ा है। इस दौरान देशभर से मिले समर्थन ने उनमें जज्बे की लौ को जलाए रखा।

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