किसान समन्वय समिति ने नीति आयोग को सौंपे 26 सूत्री प्रस्ताव
नई दिल्ली, 22 अप्रैल (आईएएनएस)| राष्ट्रीय किसान समन्वय समिति ने नीति आयोग को 26 सूत्री प्रस्ताव सौंपे हैं। नीति आयोग ने समिति को चक्रवृद्धि ब्याज न लेने, वसूली के लिए कुर्की न करने, ऋण पर ब्याज की राशि को किसान द्वारा अदालत में चुनौती देने संबंधित सभी कानून का कड़ाई से पालन करने के लिए राज्य सरकारों और संबंधित एजेंसी को निर्देश जारी करने के लिए आश्वस्त किया।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने स्वीकार किया कि न्याय श्रम मूल्य प्राप्त करना किसान का मौलिक अधिकार है और इसके लिए कृषि लागत और मूल्य आयोग के अध्यक्ष से बैठक के लिए संबंधित अधिकारी को निर्देश दिए।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार, सदस्य रमेश चन्द्र शर्मा, कृषि सलाहकार डॉ. जे.पी. मिश्रा और भारत सरकार के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं किसान की आय वृद्धि संबंधी समिति के अध्यक्ष अशोक दलवाई के साथ राष्ट्रीय किसान समन्वय समिति के प्रतिनिधि मंडल की बैठक 17 अप्रैल को यहां नीति भवन में संपन्न हुई। बैठक में किसान की स्थायी कर्जमुक्ति और न्यायपूर्ण आय सुनिश्चित करने के लिए प्रस्तुत 26 सूत्री प्रस्ताव पर ढाई घंटे चर्चा की गई।
किसान समिति के प्रतिनिधिमंडल में विवेकानंद माथने (महाराष्ट्र), जोशी जेकब (केरल), जयंत वर्मा (मप्र), दशरथ कुमार एवं रामपाल जाट (राजस्थान), सुखदेव सिंह (पंजाब), पारसनाथ साहू (छत्तीसगढ़), इरफान जाफरी (मप्र), सुनील फौजी (दिल्ली), मिथिलेश दांगी (झारखंड), विपिनभाई पटेल (गुजरात), नीरज कुमार सिंह (बिहार) शामिल थे, और सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारीख भी विशेष रूप से उपस्थित थे।
किसान समन्वय समिति ने 26 सूत्री प्रस्ताव में सिलसिलेवार ढंग से प्रमुख बिंदुओं को उठाया है, जिसमें किसान को उत्पादन खर्च पर आधारित लाभकारी कीमत देना सबसे महत्ववूर्ण मुद्दा है। समिति ने कहा है कि कृषि उपज के मूल्य निर्धारण की वर्तमान प्रक्रिया पूर्णत: अवैज्ञानिक और कृषि विरोधी है। इसलिए किसानों द्वारा उत्पादित सभी फसलों के लिए नई, वैज्ञानिक, पारदर्शी व कृषक हितैषी उत्पादन खर्च पर आधारित न्यायपूर्ण उचित मूल्य निर्धारण व्यवस्था बनाने और इसके आधार पर फसल की कीमत देने की मांग की गई है।
समिति ने प्राकृतिक संसाधनों पर समुदाय का अधिकार, कृषि आधारित जीरो तकनीक तथा लघु पूंजी में चलने वाले हथकरघा, कुटीर एवं लघु उद्योगों को संरक्षण एवं प्रोत्साहन और इस क्षेत्र में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के उत्पादन पर पाबंदी, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना द्वारा होने वाली किसानों की लूट रोककर सीधे नुकसान भरपाई देने, किसान विरोधी आयात निर्यात नीति को बदलने और किसान बजट राशि बढ़ाने की मांग की है।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल एक नवंबर के संपूर्ण किसान क्रांति सत्याग्रह के बाद समिति की कृषिमंत्री के साथ बैठक हुई थी। इसी नीति के तहत नीति आयोग के साथ बैठक की गई।