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अध्यादेश लागू होने तक उपवास जारी रहेगा : मालीवाल

नई दिल्ली, 21 अप्रैल (आईएएनएस)| दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने शनिवार को अपने भूख हड़ताल के 9वें दिन कहा कि वह बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वालों के लिए मृत्युदंड के प्रावधान वाले अध्यादेश के लागू होने तक भूख हड़ताल जारी रखेंगी।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शनिवार को 12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों से दुष्कर्म पर मृत्युदंड के प्रावधान वाले अध्यादेश को मंजूरी दे दी। इस संबंध में सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए मालीवाल ने कहा, जबतक इसपर कुछ ठोस सामने नहीं आ जाता, मैं उपवास समाप्त नहीं करूंगी। जबतक अंतिम बच्ची की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हो जाती, मैं उपवास समाप्त नहीं करूंगी।

उन्होंने अध्यादेश को तत्काल जारी करने की मांग की और कहा, जब प्रधानमंत्री बिना किसी को सूचना दिए अचानक अध्यादेश ला सकते हैं, जब वह बड़ी परियोजनाओं को लागू कर सकते हैं, तो वह क्यों नहीं इन कुछ चीजों को कर सकते हैं? जब तक ये सब चीजें नहीं होंगी, मैं अपना उपवास नहीं समाप्त करूंगी।

मालीवाल 13 अप्रैल से कठुआ समेत दुष्कर्म के अन्य मामलों के विरोध में बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वालों के लिए मृत्युदंड की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर हैं।

उन्होंने दुष्कर्म के मामले के लिए देशभर में त्वरित अदालतें बनाने का निर्णय लेने पर केंद्र सरकार की सराहना की और कहा, मैं खुश हूं कि नौ दिनों के बाद केंद्र सरकार ने छोटी बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वालों को छह माह के अंदर मृत्युदंड देने के संबंध में पहला कदम उठाया है।

मालीवाल ने हालांकि अपनी अन्य मांगों को लेकर शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है।

उन्होंने कहा कि सिर्फ कानून बदलना काफी नहीं है, ज्यादा महत्वपूर्ण है कि इसे लागू किया जाए, इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है कि पुलिस संसाधन और उनकी जवाबदेही को बढ़ाया जाए।

उन्होंने कहा, अगर देश में पुलिस संसाधन और उनकी जवाबदेही नहीं बढ़ाई जाएगी, तो कुछ भी करने के बाद भी, दुष्कर्म की घटनाएं नहीं रुकेंगी। पिछले 10 वर्षो से, दिल्ली पुलिस 66 हजार पुलिसकर्मियों की मांग कर रही है, जो आजतक पूरी नहीं हुई।

उन्होंने कहा, पुलिस केवल वीआईपी की ड्यूटी करने के लिए है और अधिकतर पुलिस थाने अपनी क्षमता के आधे में काम कर रहे हैं।

मालीवाल ने कहा, जबतक यह अध्यादेश लागू नहीं होता है, जबतक केंद्र सरकार पुलिस संसाधन और उनकी जवाबदेही तय नहीं करती है, भूख हड़ताल समाप्त नहीं होगा।

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