न्यायाधीश लोया मामले की एसआईटी जांच नहीं होगी, याचिका खारिज
नई दिल्ली, 19 अप्रैल (आईएएनएस)| सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के विशेष न्यायाधीश बी.एच.लोया की कथित रहस्यमय हालात में मौत के मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया।
न्यायाधीश लोया, सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रहे थे, जिसके एक आरोपी (अब) भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह थे लेकिन जिन्हें बाद में आरोप मुक्त कर दिया गया था।
याचिका में कोई दम न होने की बात कहते हुए प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम.खानविलकर व न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि नागपुर में न्यायाधीश लोया की मौत स्वाभाविक तरीके से हुई थी।
याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने कहा, इसमें कोई संदेह नहीं है और न्यायिक अधिकारियों के बयानों से यह स्पष्ट है कि लोया की मौत स्वभाविक तरीके से हुई थी।
अदालत ने कहा, तीन न्यायिक अधिकारी न्यायाधीश लोया के साथ एक शादी समारोह में शामिल होने के लिए मुंबई से नागपुर साथ गए थे। वे लोग साथ रवि भवन में ठहरे थे, समारोह में शामिल हुए और उसी दिन वे लोग कुछ न्यायाधीशों से मिलने उनके आवास भी गए।
आरोप है कि सोहराबुद्दीन शेख को कथित रूप से राज्य प्रायोजित एनकाउंटर में मार दिया गया था। इस मामले के एक आरोपी अमित शाह थे, जो उस समय गुजरात के गृह मंत्री थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे।
नवंबर 2014 में न्यायाधीश लोया की मौत के बाद, अमित शाह को बरी कर दिया गया था और सीबीआई ने इसके खिलाफ अपील दायर करने से इनकार कर दिया था।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस संबंध में दिए आदेश के बाद देश में सियासी पारा चढ़ गया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा). कांग्रेस और इसके अध्यक्ष राहुल गांधी पर जमकर बरसी और कहा कि राहुल को अमित शाह, देश और न्यायपालिका से माफी मांगनी चाहिए।
भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, इस संबंध में सभी याचिका राजनीतिक रूप से प्रेरित है और अमित शाह की छवि बिगाड़ने का प्रयास है। आज उन्हें (राहुल गांधी को) सर्वोच्च न्यायालय से करारा जवाब मिल गया।
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी इस मुद्दे पर राहुल गांधी की आलोचना की।
वहीं कांग्रेस ने कहा कि यह भारतीय इतिहास का ‘सबसे दुखद दिन’ है और पार्टी ने मामले की निष्पक्ष जांच की अपनी मांग दोहराई। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने भी फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए मांग की कि इस मामले को एक वृहत्तर पीठ द्वारा सुना जाए।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाते हुए जनहित याचिका दाखिल करने के तरीके और मामले की सुनवाई के दौरान बंबई उच्च न्यायालय के प्रशासकों की समिति और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों पर संदेह करने को लेकर नाराजगी जताई।