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ONLINE ग्रोसरी की कम्पनियों की हालत खराब

online-grocery-companies_57416149600d0एजेंसी/ इंटरनेट पर बढती खरीदारी के कारण आन लाइन ग्रोसरी (किराना) का व्यापार भी तेजी से बढ़ रहा है.लेकिन उसी गति से इस क्षेत्र में काम करने वाली कम्पनियां इस कारोबार से अलग भी हो रही है.50 फीसदी से ज्यादा कम्पनियां /एप इसके शुरू होने के दो साल के अंदर या तो बंद हो रही है या बिक रही है.

आन लाइन ग्रोसरी से जुडी कम्पनियों, कारोबारियों और विश्लेषकों के अनुसार आन लाइन कम्पनियों के लिए शुरूआती दो साल मुश्किल भरे रहते हैं.फिलहाल बंद होने वाली कम्पनियों में लोकल बनिया,फ्लिप्कार्ट का ग्रोसरी डिलीवरी एप नियरबे, पेटीएम का पेटीएम जिप, ओला स्टोर और ओला कैफे प्रमुख है.

इसके बावजूद रिसर्च फर्म एर्नेस्ट यंग के अनुसार देश में आन लाइन ग्रोसरी का बाजार हर साल 35 फीसदी की दर से बढने की उम्मीद है.इस क्षेत्र में ज्यादातर कम्पनियां लोकल लेवल पर ही काम करती है.देश में इस समय छोटी बड़ी करीब 150 कम्पनियों के काम करने का अनुमान है. 22.5 से 25 लाख करोड़ के फ़ूड और ग्रोसरी बाजार में आन लाइन कम्पनियों की हिस्सेदारी करीब एक फीसदी है.यह बाजार मुख्यतः देश के शहरी क्षेत्रों मेट्रो, टियर वन और टू शहरों तक सीमित है

.2011 में शुरु हुए आन लाइन ग्रोसरी कारोबार में अधिकांश कम्पनियों ने लोकल दुकानदार और रिटेलर्स से अनुबंध किये हैं. प्रमुख कम्पनी बिग बास्केट डाट काम के को फाउन्डर और सीईओ हरि मेनन ने बताया सही अर्थों में हम ही आन लाइन कम्पनी है,जिसके पास अपना गोदाम और इन्वेंटरी है.शरू के दो साल कम्पनी के लिए मुश्किल वाले होते हैं.50 फीसदी कम्पनिया कारोबार शुरू करने के बाद इसे बंद कर देती है.हमारी कम्पनी 23 शहरों में सक्रिय है. हमें रोजाना 35 हजार आर्डर मिल रहे हैं. साल के अंत तक इसमें तीन गुना वृद्धि हो जाएगी.

उधर आस्क मी के सह संस्थापक अंकित जैन के अनुसार रोज 20 हजार आर्डर मिलते हैं.1600 – 1700 का आर्डर प्रति ग्राहक मिलता है. 4 से 6 घंटे में हम 99 फीसदी ग्राहकों को सामान पहुंचा देते हैं.

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