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चीनी मिलों पर गन्ना उत्पादकों का बकाया बढ़कर 20,000 करोड़

नई दिल्ली, 14 अप्रैल (आईएएनएस)| देशभर की चीनी मिलों पर गन्ना उत्पादकों का बकाया 20,000 करोड़ रुपये हो गया है और आगे चालू पेराई सीजन में बकाये की राशि बढ़कर 30,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाने का अनुमान है। यह बात शनिवार को नेशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज लिमिटेड (एनएफसीएसएफ) ने कही। एनएफसीएसएफ के मुताबिक, घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में गिरावट के कारण चीनी मिलें नकदी की समस्या से जूझ रही हैं और किसानों को गो की कीमतों का भुगतान करने में विफल साबित हो रही है।

चीनी उद्योग संगठनों ने सरकार से चीनी निर्यात पर 1,000 रुपये प्रति कुंतल अनुदान व प्रोत्साहन की मांग की है। सहकारी चीनी मिलों के एक शीर्ष अधिकारी ने शनिवार को बताया कि पहली बार सरकार इस बात से सहमत हुई है कि देश का चीनी उद्योग संकट में है और उद्योग व गन्ना उत्पादकों की समस्याओं पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि सरकार ने चीनी मिलों को उनकी समस्याओं का समाधान करने का भरोसा दिलाया है।

सहकारी एवं निजी क्षेत्र की चीनी मिलों के संगठनों के प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक कर उद्योग के मौजूदा हालात से उन्हें अवगत कराया।

बैठक में मौजूद नेशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज लिमिटेड (एनएफसीएसएफ) के महानिदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने कहा, पहली बार हम अधिकारियों से यह कबूल करवाने में कामयाब हुए कि देश में चीनी उद्योग और गन्ना उत्पादकों पर आगे संकट बढ़ने वाला है। चालू पेराई सीजन 2017-18 (अक्टूबर-सितंबर) में चीनी का रिकॉर्ड 310 लाख टन उत्पादन होने की उम्मीद है और इसके बाद अगले सीजन में भी उत्पादन बढ़ने की पूरी संभावना है, क्योंकि देशभर में 51 लाख हेक्टेयर में गन्ना खड़ा है, जो अगले सीजन में आएगा।

एनएफसीएसएफ ने एक विज्ञप्ति में बताया कि 12 अप्रैल तक देश की चीनी मिलों ने 2,775 लाख टन गो (पिछले साल के मुकाबले 49 फीसदी अधिक) की पेराई कर 296 लाख टन (पिछले साल से 53 फीसदी अधिक) चीनी का उत्पादन किया।

उन्होंने कहा कि कम से कम 40-50 लाख टन चीनी निर्यात होने पर ही उद्योग की हालत सुधरेगी और चीनी मिलें किसानों को गन्ने के दाम देने की स्थिति में होंगी।

नाइकनवरे ने बताया कि एनएफसीएसएफ के अध्यक्ष दिलीप वलसे पाटील, निजी चीनी मिलों के शीर्ष संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अध्यक्ष गौरव गोयल, उपाध्यक्ष रोहित पवार, महानिदेशक अविनाश वर्मा, इंडियन शुगर एक्सिम कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक व सीईओ अधीर झा, ऑल इंडिया शुगर ट्रेड एसोसिएशन के चेयरमैन प्रफुल्ल विठलानी व अन्य प्रतिनिधियों ने खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के सचिव रविकांत, संयुक्त सचिव सुरेश कुमार वशिष्ठ, निदेशक (चीनी) जी. एस. साहू के साथ शुक्रवार को कृषि भवन आयोजित एक बैठक में अधिकारियों को बताया कि चीनी मिलों के पास नकदी की किल्लत है, जिस कारण वे किसानों को गो की कीमतें देने की स्थिति में नहीं हैं।

उन्होंने कहा, हमने अधिकारी को बताया कि चीनी की कीमतें बाजार में कम होने से मिलों को नुकसान हो रहा है और भाव में सुधार के लिए चीनी का निर्यात जरूरी है। हमने सरकार को बताया कि भारतीय बाजार के मुकाबले अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चीनी 1,000 रुपये प्रति कुंतल सस्ती है। ऐसे में 1,000 रुपये प्रति कुंतल अनुदान व प्रोत्साहन मिलने पर ही हम निर्यात करने की स्थिति में होंगे।

उन्होंने बताया कि अधिकारियों ने उद्योग संगठनों को समस्या का समाधान करने का भरोसा दिलाया है।

नाइकनवरे ने कहा, हम चाहते हैं कि चीनी निर्यात के लिए जो भी उपाय की जाए, वह जल्द हो, ताकि बरसात से पहले निर्यात का मार्ग सुगम हो सके।

उन्होंने आगे कहा, अगर देश से चीनी का निर्यात नहीं होगा तो अगले पेराई सीजन 2018-19 में कई चीनी मिलें नकदी की किल्लत से पेराई शुरू भी नहीं कर पाएंगी, क्योंकि उन्हें बैंक भी कर्ज देने के लिए तैयार नहीं हैं। बैंक मिलों से पहले लिए गए कर्ज का भुगतान करने को कहते हैं।

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