उम्मीद है भारत में भारोत्तोलन को नई पहचान मिलेगी : विकास ठाकुर
नई दिल्ली, 14 अप्रैल (आईएएनएस)| आस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में जारी 21वें राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय भारोत्तोलकों का प्रदर्शन शानदार रहा। भारत ने इस खेल में पांच स्वर्ण, दो रजत और दो कांस्य पदकों सहित कुल नौ पदकों पर कब्जा जमाया। इस प्रदर्शन ने इस खेल को कई लोगों की नजरों में ला दिया है और 94 किलोग्राम भारवर्ग में देश को कांस्य पदक दिलाने वाले हिमाचल प्रदेश के विकास ठाकुर को भी उम्मीद है कि इस प्रदर्शन से भारोत्तोलन को एक नई पहचान मिलेगी और आने वाले दिनों में इसमें और पदकधारी निकल कर आएंगे।
विकास ने गोल्ड कोस्ट से लौटने के बाद आईएएनएस से फोन पर बातचीत में कहा कि वह इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि आने वाले दिनों में भारत भारोत्तोलन में और मजबूत होगा।
विकास ने कहा, मुझे उम्मीद है कि आने वाले दिनों में भारोत्तोलन को बहुत पहचान मिलेगी। इस खेल को भी बाकी खेलों की तरह जाना जाएगा। इस बार जो प्रदर्शन रहा है वो बदलाव लेकर आएगा और इस खेल को नई पहचान मिलेगी। हम बाकी खेलों में अच्छा कर रहे हैं बैडमिंटन में, कुश्ती में आने वाले चार-पांच सालों में हम इस खेल में भी और बेहतर करेंगे। थोड़ा समय जरूर लगेगा, लेकिन इस खेल को भी पहचान मिलेगी।
विकास अमूमन 85 किलोग्राम भारवर्ग में खेलते थे, लेकिन रियो ओलिम्पक के बाद लगी कंधे में चोट के कारण उन्हें अपने भारवर्ग में डॉक्टर के कहने पर बदलाव करना पड़ा और वह राष्ट्रमंडल खेलों में 94 किलोग्राम भारवर्ग में उतरे।
बकौल विकास , मुझे चोट लग गई थी। कंधे की सर्जरी हुई तो मैंने अपने नियमित भारवर्ग 85 किलोग्राम से ज्यादा में हिस्सा लिया था। डॉक्टर ने मुझसे ऐसा करने को कहा था ताकि मस्ल सही रह सकें। उस लिहाज से मैं अपने प्रदर्शन से काफी खुश हूं। मैंने 10 महीने रिहैब में गुजारे उसके बाद मैं राष्ट्रमंडल खेलों में गया। अभ्यास में मैंने क्लीन एंड जर्क में 200 के करीब भार उठाया था, लेकिन वहां नहीं हो पाया। होता है कई बार, लेकिन मैं अपने प्रदर्शन से संतुष्ट हूं।
विकास ने स्नैच में 159 किलोग्राम का सर्वाधिक भार उठाया था जो उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। वह एक समय स्वर्ण की दौड़ में थे, लेकिन क्लीन एंड जर्क में पिछड़ने के कारण उन्हें कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा।
अपने प्रदर्शन को लेकर विकास हालांकि संतुष्ट हैं, लेकिन उनका मानना है कि चोट की वजह से वजन वर्ग में बदलाव करने के कारण उन्हें अभ्यास का ज्यादा समय नहीं मिला।
उन्होंने कहा, कमी कुछ नहीं रह गई थी। अगर आप देखेंगे तो मैंने स्नैच में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदशर्न किया था। मैं अपने प्रदर्शन से खुश हूं। मुझे लगता है कि चोट के कारण वजन वर्ग में बदलाव करने से मुझे 94 किलोग्राम भारवर्ग में तैयारी का समय थोड़ा कम मिला, लेकिन मैं अपने प्रदर्शन से बिल्कुल संतुष्ट हूं।
विकास ने ग्लास्गो 2014 में 85 किलोग्राम भारवर्ग में स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया था। वह इस उम्मीद के साथ गए थे कि वो अपने पदक का रंग बदलेंगे। विकास ने कांस्य जीतने के बाद अपनी मां से हंसते हुए कहा कि उन्होंने रंग तो बदला है।
उन्होंने कहा, मैंने जाते समय अपनी मां से कहा था कि मैं अपने पदक का रंग बदलूंगा। वहां कांस्य जीतने के बाद मैंने अपनी मां से मजाक में कहा कि मम्मी मैंने रंग तो बदल दिया है लेकिन वो सोना नहीं कांस्य है, लेकिन मैंने अपना वादा निभाया है।
विकास ने अपना अगला लक्ष्य एशियाई खेल और राष्ट्रीय चैम्पियनशिप को बताया है।
उन्होंने कहा, मेरा अगला लक्ष्य एशियाई खेल और राष्ट्रीय चैम्पियनशिप है। राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में मैं इस बार पहली बार अपने राज्य का प्रतिनिधत्व करूंगा। मैं इस बार हिमाचल से खेलूंगा इससे पहले मैं सर्विसेस से खेल रहा था। तो मेरा ध्यान इन दो चीजों पर है। साथ ही इस साल विश्व चैम्पियनशिप में भी हिस्सा लूंगा और वहां भी अच्छा प्रदर्शन करने की कोशिश करूंगा।
उन्होंने कहा, मेरे कंधे में अभी भी थोड़ा दर्द है, लेकिन यह जल्दी ठीक हो जाएगा। मैं पूरी मेहनत कर रहा हूं और आगे अच्छा प्रदर्शन करूंगा।
विकास से जब दोबारा पुराने भारवर्ग में लौटने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, मैं अब पीछे मुड़कर नहीं देखूंगा। मैं अब 94 किलोग्राम भारवर्ग में ही उतरूंगा।