दूरसंचार क्षेत्र को आगामी नीति से राहत की उम्मीद
नई दिल्ली, 10 अप्रैल (आईएएनएस)| आगामी नई दूरसंचार नीति 2018 में जिन चीजों पर दूरसंचार उद्योग ने ध्यान देने की सिफारिश की है, उनमें दूरसंचार और ब्रॉडबैंड की पैठ बढ़ाने, लाइसेंसिंग और विनियमों को सरल बनाने, कुशल स्पेक्ट्रम प्रबंधन, एकसमान दूरसंचार बुनियादी ढांचे और राइट ऑफ वे (आरओडब्ल्यू) नीतियां, मौजूदा लेवी और करों को कम करना प्रमुख है।
सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महानिदेशक राजन एस मैथ्यूज ने कहा, इन सबके साथ, दूरसंचार नेटवर्क की सुरक्षा में बढ़ोतरी, अनुपालन और लागत के बोझ में कमी और देश में डिजिटल क्रांति करते हुए नागरिकों की गोपनीयता सुनिश्चित करना सर्वोपरि है। अगर ‘डिजिटल भारत’ का सपना साकार होता है, तो एक क्षेत्र के रूप में दूरसंचार और प्रौद्योगिकी के लोकतंत्रीकरण को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए।
उन्होंने यहां मंगलवार को कहा, इस समय, उद्योग में मंदी है। 1.8 लाख करोड़ रुपये के राजस्व पर 4.6 लाख करोड़ रुपये का संचयी कर्ज उद्योग की दीर्घकालिक संभावनाओं और व्यवहार्यता पर सवाल खड़े करता है।
उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र पूरे देश में एक एकीकृत लाइसेंस सहित कई मुद्दों के समाधान की मांग कर रहा है, जहां एक ही सेवा प्रदान करने वाले हर सेवा प्रदाता को एक ही नियमों का पालन करना चाहिए। सेवाओं के लिए एक राष्ट्र एक लाइसेंस जारी करना चाहिए और संचार बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए उसी प्रकार से धन उपलब्ध कराना चाहिए, जिस प्रकार से सड़क और रेल नेटवर्क के लिए धन उपलब्ध कराया जाता है।
उन्होंने कहा, इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार और निजी क्षेत्र से तुरंत मदद की जरूरत है, ताकि इस क्षेत्र को बदहाली से उबारा जा सके।