स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की जरूरत : नैटहेल्थ
नई दिल्ली, 9 अप्रैल (आईएएनएस)| भारतीय हेल्थकेयर क्षेत्र में धन की कमी सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है। वर्तमान में सरकार हेल्थकेयर पर अपनी जीडीपी का केवल लगभग 1.4 प्रतिशत ही खर्च करती है, जो वैश्विक तौर पर सबसे कम खर्चो में से एक है।
स्वास्थ्य क्षेत्र की प्रमुख संस्था नैटहेल्थ के मुताबिक, देश में हेल्थकेयर में निवेश बढ़ाने पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। नैटहेल्थ ने कहा कि भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को किफायती गुणवत्तायुक्त हेल्थकेयर उपलब्ध कराने और वैश्विक स्वास्थ्य कवरेज (यूएचसी) का लक्ष्य हासिल करने में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति और राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (एनएचपीएस) मुख्य भूमिका निभा सकती हैं।
बयान में कहा गया कि वर्तमान में देश में कम ही लोगों के पास स्वास्थ्य बीमा का कवरेज है। नई योजना से उम्मीद है कि यह लोगों की हेल्थकेयर की जरूरतों को पूरा करने में उनकी मदद करेगी।
इकॉनॉमिक सर्वे 2017-18 ने भी सेहत पर जरूरत से ज्यादा खर्च की समस्या के बारे में चेताया है, जो गरीब तबके के लोगों पर प्रतिकूल असर डालती है और आर्थिक और सामाजिक विषमता को बढ़ाती है।
नैटहेल्थ के महासचिव अंजन बोस ने कहा, 2017 में, सरकार ने सभी के लिए गुणवत्तायुक्त और किफायती हेल्थकेयर पर प्रमुख रूप से ध्यान देने के साथ, राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति एनएचपी-2017 की घोषणा की थी। वैश्विक स्वास्थ्य कवरेज (यूएचसी) पर सरकार के ध्यान देने से हेल्थकेयर क्षेत्र के विभिन्न हितधारकों को कई मौके देने और संपूर्ण रूप से देश की सेहत और कल्याण में सहयोग देने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में सरकार हेल्थकेयर पर अपनी जीडीपी का केवल लगभग 1.4 प्रतिशत ही खर्च करती है, जो वैश्विक तौर पर सबसे कम खर्चो में से एक है। उन्होंने कहा कि भारतीय हेल्थकेयर क्षेत्र में धन की कमी सबसे बड़ी बाधा है और इसमें निवेश बढ़ाने पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, हालिया केंद्रीय बजट में घोषित एनएचपीएस/एम (राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना या मिशन), को स्वास्थ्य नीति में निर्धारित लक्ष्यों को आगे ले जाने में मददगार साबित होना चाहिए। हेल्थकेयर प्रदाता, स्वास्थ्य बीमाकर्ता, डायगनॉस्टिक्स, मेडटेक और अन्य हितधारकों को एनएचपीएस की सफलता में सहयोग करने के लिए साझेदारी करने की जरूरत है।
नैटहेल्थ ने सभी हितधारकों से इस क्षेत्र को सशक्त करने और फिर से गढ़ने के लिए एक सहयोगी भावना में काम करने का आग्रह किया। गैर-पारंपरिक संसाधनों और साझेदारियों को बेहतर करने के लिए फ्लेक्सिबल और अडाप्टिव संचालन मॉडल्स को स्थापित करने की जरूरत है।