छग के एम्स में मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद 5 को दिखना बंद
रायपुर, 8 अप्रैल (आईएएनएस/वीएनएस)। छत्तीसगढ़ के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में आंखों का ऑपरेशन कराए पांच मरीज संक्रमण के शिकार हो गए।
उन्हें अनन-फानन में अस्पताल प्रबंधन ने ‘उपचार संभव नहीं है’ कहकर अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया और दूसरे अस्पताल में जाकर इलाज कराने की नसीहत भी दे दी। इससे एम्स की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
एम्स में आंखों की सर्जरी कराए मरीजों में रायपुरा के रामकुमार सोनी, डीडी नगर के तिलकराम पठारी, मोहबा बाजार के मानवेंद्र गोडवाल, योगेश पांडेय और कुशाल सिंह का ऑपरेशन 5 अप्रैल को हुआ था। 6 अप्रैल को इनकी आंखों में संक्रमण शुरू हुआ। इन मरीजों के आंखों की सर्जरी डॉ. लीति चक्रवर्ती ने किया था।
मरीजों के आंखों में संक्रमण के बाद जब डॉ. लीति स्वयं मरीजों को लेकर एक निजी अस्पताल जा रहीं थीं, तो अस्पताल अधीक्षक डॉ. अजय दानी ने कहा, यह हमारे प्रोटोकॉल में नहीं है कि मरीजों को दूसरे अस्पताल में शिफ्ट कराने स्वयं जाएं।
छत्तीसगढ़ एम्स में यह पहला मौका नहीं है जब मरीजों को सुविधाओं को टोटा बताकर अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया हो। इसके पहले भी पेट और किडनी के कई मरीजों के साथ भी यह बर्ताव एम्स प्रबंधन कर चुका है।
मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाने वाले मरीजों को एम्स प्रबंधन ने निजी अस्पतालों में उपचार कराने भेज दिया। यहां तक कि वहां के डॉक्टरों ने मरीजों को रायपुर के एक निजी नेत्र अस्पताल तक जाने के लिए एम्बुलेंस भी मुहैय्या नहीं कराई। ऐसे में मरीजों को अपने-अपने साधनों से ही अस्पताल तक जाना पड़ा।
मरीजों का उपचार रायपुर के एक निजी नेत्र चिकित्सालय में शुरू हो गया है। आंखों की रोशनी को लेकर भी स्थिति अब तक स्पष्ट नहीं है। निजी अस्पताल में इलाज के बाद मरीज देख सकेंगे या नहीं, इस बारे में डाक्टर कोई दावा नहीं कर रहे हैं। मरीजों के परिजनों के पास कोई विकल्प नहीं है।
इस हादसे के बााद राजनीतिक पार्टियों ने इसे सरकार की नाकामी का आरोप लगाया।
कांग्रेस के शहर जिलाध्यक्ष विकास उपाध्याय ने कहा किए एम्स केवल कंक्रीट का ढांचा है, सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है। एम्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में मोतियाबिंद के ऑपरेशन में लापरवाही बरती गई। इस लापरवाही को छुपाने का भी प्रयास किया गया। एम्स में सुविधा बिल्कुल नहीं है, इसलिए मरीजों को निजी अस्पताल रेफर कर दिया गया।
मरीजों के आंखों में संक्रमण के बाद अस्पताल प्रबंधन ने सर्जरी में उपयोग इंजेक्शन, सीरिंज, निडिल, ड्राप्स व लैंस को जांच के लिए एम्स के ही माइक्रो बायोलॉजी विभाग भेजा है। इसकी रिपोर्ट 48 से 72 घंटे में आने की संभावना है। रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा किए आंखों में संक्रमण की वजह क्या है, उसके बाद ही आगे फैसला लिया जाएगा।
पूरे हादसे के बाद एम्स के अस्पताल अधीक्षक डॉ. अजय दानी ने कहा किए मरीजों की हालत खराब होने के बाद उन्हें दूसरे अस्पताल भेजने की स्थिति में ऐसी कोई पॉलीसी नहीं है किए मरीजों के उपचार का खर्च एम्स वहन करे।
उन्होंने कहा किए संक्रमण क्यों हुआए इस पर कुछ कह पाना संभव नहीं है। सर्जरी में उपयोग की गई सभी चीजों को जांच के लिए भेज दिए हैं।