एक साल के बच्चे में लीवर प्रत्यारोपण
मुंबई, 5 अप्रैल (आईएएनएस)| अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई ने फरवरी में एक गंभीर रूप से बीमार एक साल के बच्चे के शरीर में सफलतापूर्वक लीवर प्रत्यारोपण किया। वह लीवर प्रत्यारोपण से गुजरने वाला महाराष्ट्र का सबसे छोटा बच्चा (6.5 किलोग्राम) है।
बच्चे की मौसी दिव्या ने अपने लीवर का एक हिस्सा दान किया। मास्टर राम मिस्त्री को बिलियरी एट्रेसिया नामक एक दुर्लभ जन्मजात अवस्था के कारण एंड स्टेज लीवर रोग का पता चला था, जो उसके जन्म के कुछ महीनों के भीतर ही एडवांस लीवर सिरोसिस में बदल गया था।
गुजरात के रहने वाले बच्चे के माता-पिता ईशानी मिस्त्री और प्रीतेश मिस्त्री के लिए यह बड़ा अहम सवाल था कि छोटे बच्चे के लीवर प्रत्यारोपण के लिए विशेषज्ञों की टीम और इलाज के खर्च का इंतजाम कैसे किया जाए।
इसी दौरान एनजीओ ‘ट्रांसप्लांट्स – हैल्प द पुअर’ सामने आया। इस एनजीओ ने कुछ रकम दान में उपलब्ध कराई, कुछ पैसा परिवार के लोगों ने जुटाया और कुछ रकम क्राउड फंडिंग के जरिए जुटाई गई और इस तरह प्रत्यारोपण से जुड़े खर्च के एक बड़े हिस्से का इंतजाम हो गया। इसके बाद टाटा फाउंडेशन ट्रस्ट और अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई की सीएसआर यूनिट की तरफ से उपलब्ध कराई गई रकम के बाद मास्टर राम मिस्त्री के लिए जीवनदायिनी प्रत्यारोपण का रास्ता साफ हो गया।
इस केस की चर्चा करते हुए अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई के हेड-लीवर ट्रांसप्लांट डॉ डेरियस एफ मिर्जा कहते हैं बिलियरी एट्रेसिया नवजात शिशुओं में होने वाली एक दुर्लभ बीमारी है, जिसमें यकृत की पित्त नलिकाएं होती ही नहीं हैं और ऐसे मामलों में प्रारंभिक शल्य सुधार की आवश्यकता होती है, जो केवल 40 प्रतिशत मामलों में काम करता है। हम खुश हैं कि बच्चा राम और उसकी मौसी, जिन्होंने अपने जिगर का हिस्सा दान किया, वे दोनों अब स्वस्थ हैं।
अपने अनुभवों का जिक्र करते हुए मास्टर राम की मां कहती हैं- इस छोटी सी उम्र में हमारे बच्चे को ऐसी बीमारी से ग्रस्त देखना हमारे लिए वाकई बेहद तकलीफदेह और तनावपूर्ण था। और सर्जरी में लगने वाले खर्च के बारे में सुनकर तो हमारी रातों की नींद उड़ गई थी। हम अस्पताल के चिकित्सकों और स्टाफ के साथ उन सभी लोगांे के शुक्रगुजार हैं, जिन्होंने आगे आकर दान के माध्यम से हमारी सहायता की।
अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई के सीईओ डॉ नरेंद्र त्रिवेदी कहते हैं- मुझे इस बात की खुशी है कि एक जटिल और मुश्किल ऑपरेशन के बाद हम एक मासूम जिंदगी को बचाने में कामयाब हुए हैं। उसकी मौसी जिस तरह अपने लीवर का हिस्सा दान करने के लिए आगे आई, वह बात भी सराहनीय है।