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देश में पानी, जवानी और किसानी पर संकट : राजेंद्र सिंह

बांदा (बुंदेलखंड), 5 अप्रैल (आईएएनएस)| ‘जलपुरुष’ के नाम से चर्चित राजेंद्र सिंह का कहना है कि जलसंकट ने जवानों को गांव छोड़कर शहरों की तरफ जाने के लिए मजबूर किया है। आज का जवान मन से खेती तो करना चाहता है, लेकिन उसे इसके लिए पानी और शुद्ध पेयजल गांव में उपलब्ध नहीं होने के कारण वह गांव छोड़कर लाचारी, बेकारी और बीमारी से बचने के लिए शहर की तरफ जा रहा है। वहां वह और ज्यादा बीमार हो रहा है, मानसिक तनाव और चिंताएं उसे जीने नहीं दे रहीं। देश में पानी, जवानी और किसानी पर संकट है।

उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड क्षेत्र पहुंचे राजेंद्र सिंह ने खास बातचीत में कहा, झूठ के प्रचारतंत्र ने सच्चाई और ईमानदारी को दबा दिया है, जिस कारण नौजवान, किसान, मजदूर, छोटे व्यापारी सभी संकट में हैं। वर्तमान में भारत के 300 से अधिक जिले सूखा प्रभावित हैं। लाखों गांवों में पेयजल संकट है।

उन्होंने कहा, देश के कई छोटे-बड़े शहरों में दो दिन में बमुश्किल एक बार पानी मिल पा रहा है। खेती पानी के बिना चौपट हो रही है, जिस कारण किसान आत्महत्या कर रहे हैं। नदियों का पानी किसान की जगह उद्योगपतियों को खुलेआम बेचा जा रहा है। छत्तीसगढ़ में महानदी इसका एक जीता जागता उदाहरण है। आदिवासियांे और वनवासियांे को उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।

जलपुरुष ने कहा, भूमि अधिकार कानून को लगातार कमजोर किया जा रहा है। विकास के नाम पर भूमि अधिग्रहण कर वनवासी और आदिवासियों को बेदखल किया जा रहा है। दलित और शोषित वर्ग के अधिकारांे को कमजोर बनाया जा रहा है। कृषि में बढ़ती लागत और उचित बाजार के अभाव में हजारांे की संख्या में किसान लगातार आत्महत्या कर रहे हैं।

राजेंद्र सिंह ने कहा, नौजवान के पास रोजगार नहीं है। रोजगार गारंटी, वन अधिकार अधिनियम, शिक्षा का अधिकार, भू-अधिकार कानून जैसे जनहित के कानूनों को लगातार कमजोर किया जा रहा है।

उन्होंने कहा, देश मंे नदियों की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। गंगा जैसी ‘राष्ट्रीय नदी’ के साथ मजाक किया जा रहा है, सफाई के नाम पर सिर्फ बातें की जा रही हैं। इस ‘झूठतंत्र’ को उजागर करने की जरूरत है। इसके लिए देशभर के पानी, किसानी और जवानी की चिंता करने वाले सभी राजनेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा आर्थिक, सांस्कृतिक, पर्यावरणीय एवं जलवायु परिवर्तन विशेषज्ञों को मिलकर भ्रामक प्रचार को रोकने के लिए संवाद एवं संगठन खड़ा करने की जरूरत है। इसके लिए राजस्थान में अलवर के भीकमपुरा में 7 से 9 अप्रैल तक ‘तरुण भारत संघ’ संवाद होगा। इस आयोजन में किसान, जवान, पानी और पर्यावरण पर काम करने वाले संगठनों के प्रतिनिधि भाग लेंगे।

राजेंद्र सिंह ने कहा कि गांव में पानी की कमी दूर करने के लिए मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के नाम पर कई योजनाएं होने के बावजूद कहीं भी काम नहीं दिखा रहा है। इसलिए राजस्थान, उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड, कर्नाटक के धारवाड़, राचूर, मेडक, आंध्र के रायलसीमा और तेलंगाना के नलगोड़ा क्षेत्र से बड़ी संख्या में पलायन हो रहा है। इस तरह से जवान खेती और गांव छोड़कर शहरों की तरफ लाचार, बेकार, बीमार होकर जा रहे हैं। वे वहां की जनसंख्या पर दबाव बढ़ा रहे हैं। इस कारण ग्रामीण और शहरी आबादी में बहुत तेजी से तनाव बढ़ रहा है। शहरों में रोजगार बढ़े नहीं हैं। प्रकृति और मानव के संबंधों में अंतर तेजी से बढ़ा है।

उन्होंने कहा, व्यक्ति प्रकृति का शोषण कर रहा है। वह प्रकृति को केवल अपने भोग की वस्तु मानकर इसका जल्दी से जल्दी और अधिक से अधिक उपयोग करके विकास करने का लालच हमें दे रहा है और हम भी अपने जंगलों को बेरहमी से काटकर उसमें अब खनन और जो भी धरती के गर्भ में है- सोना, चांदी, हीरा, कोयला, पत्थर, यूरेनियम, मिट्टी, पानी सबकुछ निकालने की कोशिश में लगे हैं। पर्यावरण को बचाने की ओर किसी का ध्यान नहीं है, सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें हो रही हैं।

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