नई दिल्ली, 4 अप्रैल (आईएएनएस)| तेरह विपक्षी दलों के नेताओं ने बुधवार को यहां मुलाकात की और सरकार व लोकसभा व राज्यसभा के पीठासीन अधिकारियों से उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर चर्चा की अनुमति देने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि वे सरकार के विधायी एजेंडे को पारित करने के लिए बजट सत्र को बढ़ाने के इच्छुक हैं। बैठक के बाद कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने मीडिया से कहा कि यह विपक्ष का कर्तव्य है कि वह लोगों की चिंताओं को संसद में उठाए और सरकार को इस पर चर्चा की अनुमति देनी चाहिए। आजाद के साथ दूसरे दलों के कई अन्य नेता भी थे।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता आजाद ने कहा कि 13 पार्टियों में तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) व अन्नाद्रमुक का भी आम मुद्दों पर समर्थन हासिल है, लेकिन दोनों पार्टियों ने बैठक में भाग नहीं लिया।
उन्होंने कहा कि विपक्ष कावेरी प्रबंधन बोर्ड, आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने के वादे, हजारों करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी, सीबीएसई प्रश्नपत्र लीक, अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम व दिल्ली में सीलिंग की मुहिम से जुड़े मुद्दों पर चर्चा चाहता है।
उन्होंने कहा कि ये मुद्दे लोगों के दिमाग में हैं और इन पर दोनों सदनों में चर्चा होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, हम लोगों की लड़ाई लड़ रहे हैं। सरकार इन मुद्दों का हल पाने में बुरी तरह से विफल रही है। वह मूकदर्शक की तरह बैठी हुई है।
उन्होंने कहा, आज (बुधवार) और कल (गुरुवार) चर्चा हो और विधेयकों को पारित करने के लिए दो दिन सत्र को विस्तार दे दिया जाए। हम अतिरिक्त दिन बैठने को तैयार हैं। विधेयकों को पारित कीजिए, लेकिन लोगों के दिमाग में चल रहे मुद्दों को मत छोड़िए।
उन्होंने कहा कि सरकार को इससे निकलने का रास्ता खोजना चाहिए, लेकिन ‘किसी वरिष्ठ मंत्री ने मुझसे या मेरे किसी विपक्षी सहयोगी’ से संपर्क नहीं किया।
उन्होंने कहा कि बैठक में भाग लेने वाली पार्टियों में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, आम आदमी पार्टी, माकपा, भाकपा, द्रमुक, झारखंड मुक्ति मोर्चा, बहुजन समाज पार्टी, आईयूएमएल, केरल कांग्रेस-एम व राष्ट्रीय जनता दल शामिल थीं।