‘हिंदी साहित्य उत्सव’ में याद किए गए केदारनाथ
नई दिल्ली, 24 मार्च (आईएएनएस)| एक दिनी हिंदी साहित्य उत्सव में यहां शनिवार को यशस्वी कवि केदारनाथ सिंह को याद किया गया। राजकमल प्रकाशन के संपादकीय निदेशक सत्यानंद निरूपम ने केदारनाथ की चर्चित कविता ‘मातृभाषा’ से कुछ पंक्तियों का पाठ किया। साथ ही साहित्य और सिने जगत के लोगों ने 2 मिनट का मौन रखकर साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता कवि को श्रद्धांजलि दी। राजकमल प्रकाशन की भागीदारी में कनाट प्लेस स्थित ऑक्सफोर्ड बुकस्टोर में आयोजित इस उत्सव के पहले सत्र में ‘क्यों पढ़ें’ विषय पर वरिष्ठ आलोचक, चिंतक व कथाकार पुरुषोत्तम अग्रवाल ने कहा, पढ़ना मनुष्य को प्रकृति द्वारा उपलब्ध नहीं कराया गया है, और न ही ईश्वर द्वारा वरदान के रूप में दिया गया है, पढ़ना और लिखना हमारे पूर्वजों और हमारा अपना आविष्कार है। लिखना बोलने को सुरक्षित रखता है और जुबान की तमीज बचाए रखता है।
पढ़ने-पढ़ाने की विस्तृत व्याख्या के बाद दूसरे सत्र ‘पान बखान’ में फूड क्रिटिक और इतिहासकार पुष्पेश पंत ने पान के इतिहास पर रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि पान की सारी चीजों के साथ एक पूरी संस्कृति से जुड़ी हुई है।
सत्यानंद निरूपम की बातचीत के दौरान पंत ने पान के प्रकार, रंग, रस और पान खाने की आदत, शौक को लेकर कतिपय साहित्यिक प्रसंगों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पान में भोजन के छह में से चार रस होते हैं। पान में सिर्फ नमकीन और कड़वापन का स्वाद नहीं मिलता है।
आयुर्वेद में बताए गए भोजन के छह रस हैं-खट्टा, मीठा, नमकीन, कड़वा, तीता और कसैला। लेखक ने देश के विभन्न जगहों के पान और पान खाने के शौकीन लोगों का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि ‘पान बखान’ किताब में जगह-विशेष के साथ पान के शौक की चर्चा की गई है। उन्होंने कहा, बिहार के मिथिला में पान खाने के शौकीन लोग बनारस से भी ज्यादा हैं। उन्होंने बताया कि मिथिला के पान के शौक पर किताब में भी जिक्र किया गया है।
‘कश्मीरनामा : इतिहास लेखन का नया दरवाजा’ सत्र में हिंदी में शोधपरक लेखन की संभावनाओं और चुनौतियों पर अशोक कुमार पांडेय से शीबा असलम फहमी से बातचीत की। कश्मीर पर लिखी उनकी हालिया किताब ‘कश्मीरनामा’ खासी चर्चा में रही है।
चौथे सत्र में ‘क्या चीज है बेस्टसेलर’ विषय पर चर्चा की गई। इस सत्र में प्रकाशन जगत के दिग्गज शामिल हुए, जिनमें मीरा जौहरी (राजपाल), शैलेश भरतवासी (हिन्द युग्म), अदिति महेश्वरी गोयल (वाणी प्रकाशन), अंशुल बेंजामिन (राजकमल प्रकाशन), नवीन चौधरी (ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस), प्रशांत कश्यप (दैनिक जागरण) से जया भट्टाचार्जी रोज द्वारा विस्तृत चर्चा की गई है, इस सत्र में सभी वक्ताओं द्वारा बेस्ट सेलर को अलग-अलग तरह से प्रभाषित किया गया तथा हिंदी में बेस्ट सेलर को सराहा गया।
राज थिएटर द्वारा प्रेमचंद की कहानी ‘मंत्र’ के नाट्य रूपांतरण को 40 कलाकारों द्वारा बड़े मनमोहक और दारुण तरीके से प्रस्तुत किया गया।
‘किस्सा-कहानी पाठ’ सत्र में वरिष्ठ और युवा कहानीकार मृदुला गर्ग, शिवेंद्र, दिलीप पांडेय और नीलोत्पल मृणाल ने अपनी रचनाओं के अंश का पाठ किया। आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता दिलीप पांडे ने अपनी हाल ही में आई पुस्तक ‘कॉल सेंटर’ से कुछ कहानियां पढ़ीं।
लेखिका मृदुला गर्ग ने अपनी पुस्तक का अंश पढ़ते हुए कहा, हिंदी में पाठक इसलिए नहीं मिलते कि हर समय उन पर सामाजिक सरोकार हावी रहता है।
अनुवाद सत्र में मंगलेश डबराल, अर्जुमंद आरा और असद जैदी ने अनुवाद करते समय आने वाली जटिलता और कठिनाइयों का जिक्र किया। वहीं अर्जुमंद आरा ने कहा, हर अनुवाद अपने तौर पर अपना तरीका तय करता है।
असद जैदी ने अनुवाद पर बोलते हुए कहा, अनुवाद का पहला चैलेंज यही होता है कि आप मूल को सुरक्षित रखें।
‘कविता कुछ और रंग’ सत्र में सुधांशु फिरदौस, अविनाश मिश्र, अरविंद जोशी और अंकिता आनंद ने अपनी कविताएं सुनाईं।
हिंदी साहित्य उत्सव का समापन ‘आपकमाई : कुछ कविता कुछ गीत’ से हुआ। अपने गीतों के लिए दो बार नेशनल अवार्ड जीतने वाले गीतकार स्वानंद किरकिरे अपनी पुस्तक ‘आपकमाई’ से कविताएं पढ़ी। स्वानंद ने कुछ अपने मशहूर गीत ‘बावरा मन’, ‘ओरी चिड़िया’ से लोगों को मुग्ध कर दिया।