राष्ट्रीय

संसद में गतिरोध जारी, कांग्रेस ने दिया अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस

नई दिल्ली, 23 मार्च (आईएएनएस)| संसद के दोनों सदनों में शुक्रवार को भी गतिरोध जारी रहा और लगातार 15वें कार्यदिवस में भी किसी भी प्रकार का कार्य नहीं हुआ।

इस बीच कांग्रेस ने शुक्रवार को लोकसभा में नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के संबंध में नोटिस दिया।

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने नोटिस को पेश करते हुए कहा, सदन मंत्रिपरिषद में विश्वास व्यक्त नहीं करती है।

इससे पहले, तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) और वाइएसआर कांग्रेस पार्टी ने भी सरकार के विरुद्ध विभिन्न मांगों को लेकर अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस पेश किया था। लेकिन संसद में गतिरोध की वजह से अविश्वास प्रस्ताव पेश नहीं किया जा सका।

शुक्रवार को भी, अध्यक्ष सुमित्रा महाजन हंगामे की वजह से अविश्वास प्रस्ताव को आगे नहीं बढ़ा सकी। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही टीआरएस, अन्ना द्रमुक के सदस्य अपनी विभिन्न मांगों को लेकर अध्यक्ष के आसन के समीप इकट्ठे हो गए। कांग्रेस के सदस्यों ने एससी/एससी अधिनियम के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के विरोध में प्रदर्शन किया।

अन्ना द्रमुक और टीआरएस ने क्रमश: कावेरी प्रबंधन बोर्ड और तेलंगाना में आरक्षण कोटा बढ़ाने की मांग को लेकर सदन की कार्यवाही में लगातार व्यवधान उत्पन्न किया।

हंगामे के बीच, अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दोपहर तक स्थगित कर दी।

सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होने के बाद भी स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं आया और अध्यक्ष ने विपक्षी पार्टी के सदस्यों से आग्रह किया कि सभी सदस्य अपनी सीटों पर वापस चले जाएं।

प्रदर्शन जारी रहने के बाद, महाजन ने सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी और कहा कि 26 मार्च को रामनवमी की वजह से सदन में अवकाश रहेगा।

राज्यसभा में भी तेदेपा, अन्ना-द्रमुक व कांग्रेस ने विभिन्न मांगों को लेकर हंगामा किया, जिसके बाद सभापति ने कार्यवाही दोपहर तक के लिए स्थगित कर दी।

सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होते ही यथास्थिति रहने के बाद नायडू ने कहा, हमें काफी ज्यादा काम करना है। मुझे आशा है कि संसदीय कार्य मंत्री और सरकार विभिन्न राजनीतिक पार्टियों को विश्वास में लेंगे और सोमवार तक कुछ नतीजा निकलेगा। कम से कम सदन को चलने देना चाहिए।

उन्होंने कहा, आज(शुक्रवार को) हमने सदन में गतिरोध के तीन हफ्ते पूरे किए। मैंने अपने सार्वजनिक जीवन में, इस जैसा गतिरोध बहुत कम ही देखा है। राज्यसभा में तीन हफ्तों तक कोई भी जरूरी कार्य नहीं हुआ। सभापति के तौर पर, मैं जो कर सकता था, वह किया, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।

सभापति ने कहा, सदन के सभी धड़े को यह अवलोकन करने की जरूरत है कि क्यों हमने संसद के ऊपरी सदन होने के बावजूद, देश के लोगों को तीन हफ्तों तक निराश किया।

उन्होंने कहा, मुझे पता है आपमें से कुछ कहोगे कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। आप कब तक पहले हुए कार्यो से अपने वर्तमान को सही ठहराते रहेंगे। इस देश के लोग कुछ बदलाव की उम्मीद करते हैं। क्या यह बदलाव राज्यसभा से नहीं होना चाहिए?

नायडू ने कहा, क्या अगले हफ्ते कुछ बदलाव होगा? मैं इससे काफी दुखी हूं। मैं इस संबंध में कोई अनुमान नहीं लगा पा रहा हूं। मैं इसे संसद के सम्मानीय सदस्यों और नेताओं पर छोड़ता हूं कि वह बदलाव के लिए क्या निर्णय लेते हैं। यह आप पर है कि आप उम्मीद को जिंदा रखें। आपको निर्णय करना पड़ेगा।

नायडू ने अपनी बात पूरी भी नहीं की थी कि तेदेपा, अन्ना-द्रमुक और कांग्रेस के सदस्य सभापति के आसन के समक्ष एकत्रित होकर नारे लगाने लगे।

गुस्साये नायडू ने कहा, क्या चल रहा है? ये कोई बाजार नहीं है, ये संसद है। आप ऐसा कब तक करोगे। लोग पूरी तरह व्यथित हैं।

इससे पहले दोनों सदनों में स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को शहीद दिवस के मौके पर श्रद्धांजलि दी गई। तीनों को आज ही के दिन 1931 में फांसी दी गई थी।

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