अन्तर्राष्ट्रीय

अमेरिका-चीन व्यापार जंग से शेयर बाजार प्रभावित

वाशिंगटन/बीजिंग, 23 मार्च (आईएएनएस)| अमेरिका और चीन के बीच छिड़ी व्यापारिक जंग के बीच शुक्रवार को दुनियाभर के वित्तीय बाजारों पर असर दिखा।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन के साथ एक बड़ी व्यापारिक जंग का ऐलान करते चीनी वस्तुओं के आयात पर 60 अरब डॉलर का शुल्क (टैरिफ) लगाने पर जवाबी कार्रवाई करते हुए चीन ने भी अमेरिकी वस्तुओं के आयात पर तीन अरब डॉलर का शुल्क लगाने की घोषणा कर दी।

तकरीबन 25 साल के इतिहास में चीन के साथ सबसे तीखी व्यापारिक तनातनी के बीच ट्रंप ने चीनी वस्तुओं के आयात पर शुल्क लगाने के आदेश पर हस्ताक्षर किए। इसके साथ ही, अमेरिका ने अमेरिकी प्रौद्योगिकी में निवेश की बीजिंग की आजादी कम कर दी है।

दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच संभावित व्यापारिक जंग के कारण वित्तीय बाजार सकते में रहा। ट्रंप ने चीन को अमेरिका में हजारों नौकरियां छीनने और अरबों डॉलर का नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार ठहराया।

चीन ने इसपर पलटवार करते हुए ट्रंप के बुधवार के एलान को एक पक्षीय व संरक्षणवादी बताया। चीन के वाणिज्यमंत्री ने कहा कि अमेरिका ने बहुत बुरी मिसाल कायम की है जबकि विदेश मंत्री ने अमेरिका से समझदारी व विवेकपूर्ण ढंग से फैसले लेने का आग्रह किया।

अमेरिका ने चीन के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में शिकायत दर्ज करवाई।

अमेरिकी सरकार ने एक बयान में कहा, ऐसा प्रतीत होता है कि लाइसेंस का अनुबंध समाप्त होने के बाद चीनी कंपनियों को प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने से रोकने के अमेरिकी कंपनियों समेत अन्य देशों के पेटेंट धारकों के मौलिक पेटेंट अधिकारों को अस्वीकार करके डब्ल्यूटीओ के नियमों का उल्लंघन कर रहा है।

अमेरिका ने कहा, ऐसा लगता है कि चीन आयातित विदेशी प्रौद्योगिकी के विरूद्ध भेदभाव वाले और कम अनुकूल शर्ते थोप कर डब्ल्यूटीओ के नियमों का उल्लंघन कर रहा है।

ट्रंप की घोषणा के बाद चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि सुअर का गोश्त, शराब और बिना जोड़ वाली स्टील पाइप सहित कुल 128 वस्तुओं के आयात शुल्क में छूट को निरस्त करने पर विचार किया जा रहा है।

इसमें फलों, अखरोट, शराब और बिना जोड़ वाली स्टील पाइप पर 15 फीसदी आयात शुल्क और सुअर के गोश्त व दोबारा इस्तेमाल होने वाले अल्युमीनियम उत्पादों पर 25 फीसदी शुल्क लगाया जाएगा।

मंत्रालय ने कहा कि शुल्क दो चरणों में लगाया जाएगा। पहले चरण के तहत अगर दोनों देशों के निर्धारित समय में व्यापारिक मुद्दे को सुलझाने में असफल होने पर 15 फीसदी शुल्क लागू किया जाएगा। वहीं दूसरे चरण में अमेरिकी नीतियों के कारण पड़ने वाले प्रभाव का मूल्यांकन करने के बाद 25 फीसदी आयात शुल्क लिया जाएगा।

बीजिंग की ओर से तीन अरब डॉलर का शुल्क जिन वस्तुओं पर लगाने की योजना बनाई गई है उे अमेरिकी निर्यात का महज दो फीसदी है।

ट्रंप ने आठ मार्च को अमेरिका में आयातित स्टील पर 25 फीसदी शुल्क तथा एल्युमिनियम पर 10 फीसदी शुल्क लगाने की अधिसूचना पर हस्ताक्षर किए थे, जिससे दुनियाभर के व्यावसायिक संगठनों तथा अमेरिका के व्यापारिक सहयोगियों में असंतोष बढ़ गया।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने गुरुवार को व्हाइट हाउस में कहा, हम इस देश के लिए वह काम कर रहे हैं जो वर्षो पहले हो जाना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा, हमारे साथ बौद्धिक संपदा चोरी की बड़ी समस्या है। इसकी बदौलत ही हमारा राष्ट्र शक्तिशाल और समृद्ध है।

समाचार चैनल ‘सीएनएन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, बौद्धिक संपदा चोरी को लेकर सरकार की ओर से सात महीने जांच करवाने के बाद की गई यह घोषणा काफी समय से लंबित थी, क्योंकि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार को लेकर जुबानी जंग पहले से ही जारी थी।

शुल्क के अलावा, अमेरिका चीन पर नए निवेश प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है और वह चीन के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन में कार्रवाई करेगा। अमेरिका का ट्रेजरी डिपार्टमेंट इसके लिए अतिरिक्त उपाय करने का प्रस्ताव पेश करेगा।

लगातार 30 दिनों की बयानबाजी के बाद अमेरिकी प्रौद्योगिकी से लाभान्वित हुए चीनी उत्पादों को लक्ष्य में लेकर उनकी सूची सार्वजनिक की जाएगी।

वाशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, प्रौद्योगिकी के मसले पर चीन के साथ उनका विरोध है और नए आयात शुल्क में ट्रंप ने, जबकि अमेरिका में औद्योगिक धातुओं के संरक्षण की बात की है, मगर इसमें यूरोपीय संघ, ब्राजील, औैर अन्य देशों को छूट दी गई, जहां से अमेरिका में दो तिहाई स्टील का आयात होता है और आधे से अधिक विदेशी अल्युमीनियम को छूट दी गई है।

अमेरिकी वायदा बाजार वाल स्ट्रीट में बेंचमार्क डॉव जोंस 700 अंक लुढ़का। जापान का निक्की शेयर सूचकांक 4.5 फीसदी गिरा जबकि चीन का संघाई कंपोजिट इंडेक्स 3.4 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुआ। हांगकांग सेंग इंडेक्स भी 2.5 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुआ।

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