ठोस सबूत बगैर मौत की पुष्टि नहीं कर सकते : सुषमा
नई दिल्ली, 20 मार्च (आईएएनएस)| इराक में साल 2014 में लापता हुए 39 भारतीयों की मौत की संसद में पुष्टि करने के बाद सवालों की बौझार झेल रहीं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि बिना ठोस सबूत के सरकार किसी की मौत की पुष्टि नहीं कर सकती।
उन्होंने कहा कि ऐसी महत्वपूर्ण जानकारी पीड़ितों के परिजनों से पहले संसद को देना उनका कर्तव्य था। सुषमा ने मीडिया कर्मियों से कहा कि उनकी सरकार किसी व्यक्ति को लापता घोषित करने, मृत घोषित करने में विश्वास नहीं करती।
उन्होंने कहा, ठोस सबूत आने तक मैंने 39 मृत भारतीयों का मामला बंद करने से मना कर दिया था।
आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) द्वारा मोसुल पर कब्जा करने के बाद वहां नौकरी कर रहे 39 भारतीय जून 2014 में लापता हो गए थे।
उनमें से 27 लोग पंजाब से, चार हिमाचल प्रदेश से, छह बिहार से और दो लोग पश्चिम बंगाल से थे।
सुषमा ने कहा, जून 2014 में उनके लापता होने के बाद उन्हें खोजने के लिए लगातार प्रयास जारी रहे।
उन्होंने कहा कि पिछले साल जुलाई में मोसुल के आईएस से मुक्त होने तक सरकार यह पता लगाने की कोशिश कर रही थी कि क्या ये 39 भारतीय जिंदा हैं।
उन्होंने कहा कि लेकिन मोसुल के आजाद होने के बाद 15-20 दिनों तक लापता भारतीयों की कोई खबर नहीं मिलने पर उन्हें ढूंढ़ने के और प्रयास किए गए।
उन्होंने कहा कि मोसुल के आजाद होने के बाद विदेश राज्यमंत्री वी. के. सिंह ने तीन बार इराक का दौरा किया।
सुषमा ने कहा कि इराक सरकार ने युद्ध ग्रस्त क्षेत्र में मारे गए लोगों के परिजनों का पता लगाने वाले संगठन मारटर्स फाउंडेशन का सीधा संपर्क भारत से करा दिया था।
विदेश मंत्री ने कहा, मारटर्स फाउंडेशन ने जब लापता भारतीयों के डीएनए नमूने मांगे तो हमने पिछले साल सितंबर में चार प्रदेश सरकारों के सहयोग से नमूने एकत्र किए।
इसके बावजूद उन भारतीयों की मृत्यु की पुष्टि में इतनी देरी के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि डीएनए नमूने इराक में सामूहिक कब्रों में दफन शवों से शुरुआत में ही मिल गए थे।
उन्होंने कहा कि सामूहिक कब्रों से भारतीयों के शव बरामद नहीं हुए थे। मारटर्स फाउंडेशन ने बाद में एक टीले के बारे में बताया, जहां शवों को जलाए जाने की संभावना थी।
सुषमा ने कहा, हमने टीले की गहन जांच की और वहां शव जलाए जाने की पुष्टि हो गई तो हमने उन्हें निकलवा लिया।
उन्होंने कहा कि 39 शव बरामद होने के बाद भी लापता भारतीयों की संख्या इनमें से कम या ज्यादा हो सकती है।