फूलपुर : पहली बार खिला ‘कमल’ 4 साल में मुरझाया
लखनऊ/गोरखपुर/फूलपुर, 15 मार्च (आईएएनएस)| भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का ‘भगवा’ किला ध्वस्त करने लिए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) अपनी 23 साल पुरानी दुश्मनी भूल गए।
दोनों दलों की दोस्ती ने एक तरफ जहां गोरखपुर में 28 साल पुराना गोरक्षपीठ का ‘मठ’ ध्वस्त कर दिया, तो वहीं फूलपुर में आजादी के बाद पहली बार खिला ‘कमल’ महज चार साल में ही मुरझा गया। साल 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद ‘राम लहर’ को रोकने के लिए बसपा संस्थापक कांशीराम और सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने गलबहियां डालकर ‘मिले मुलायम-कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्रीराम’ का नारा दिया और राम लहर पर विराम लगा दिया था। लेकिन दो जून 1995 के स्टेट गेस्ट हाउस कांड ने मुलायम और मायावती के बीच ऐसी खाई बनाई कि उसका सीधा फायदा राजनीतिक वनवास झेल रही भाजपा को मिला और अप्रत्याशित तौर पर 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 80 में से 73 सीट लीं।
राज्य में 2017 विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने प्रचंड बहुमत से सरकार बनाई। लेकिन, भाजपा को गोरखपुर व फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में मिली करारी हार ने पार्टी के माथे पर बल ला दिया है।
बसपा के समर्थन से गोरखपुर और फूलपुर की सीट जीतने के बाद सपा प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बुधवार को कहा था कि ‘यह सामाजिक न्याय की जीत है।’ उन्होंने बसपा प्रमुख मायावती के सरकारी आवास 13 ए माल एवेन्यू में जाकर तकरीबन 40 मिनट की मुलाकात में बसपा द्वारा समर्थन दिए जाने पर आभार भी जताया।
राजनीतिक विश्लेषक रणवीर सिंह चौहान का कहना है कि मायावती में अब भी दलित मत स्थानांतरित करने की कूबत है, भाजपा को ऐसा भरोसा ही नहीं था। सच तो यह है कि सपा ने दोनों सीटें बसपा की बदौलत जीती है।
उन्होंने कहा कि यह विपक्षी दलों का भविष्य के महागठबंधन का यह एक रिहर्सल मात्र था, यदि यह जोड़ी सलामत रही तो 2019 के लोकसभा चुनाव में देश की दिशा बदल जाएगी।