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छग : अंतर्राष्ट्रीय भरथरी गायिका सुरुज बाई का निधन

रायपुर/ बिलासपुर, 10 मार्च (आईएएनएस/वीएनएस)। रूस सहित दुनिया के डेढ़ दर्जन देशों में छत्तीसगढ़ की भरथरी को पहचान दिलाने वाली लोकगायिका सुरुज बाई खांडे (69) नहीं रहीं। शनिवार को सुबह बिलासपुर के एक निजी अस्पताल में उनका निधन हो गया। डॉक्टरों के मुताबिक उनका निधन हृदयघात की वहज से हुआ। वे 1986-87 में सोवियत रूस में हुए भारत महोत्सव का हिस्सा बनीं थीं। भारत महोत्सव में भी उन्होंने हिस्सा लिया था। प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने इस मौके पर शोक जताया है। उन्होंने कहा कि सुरुजबाई के निधन से देश और प्रदेश को एक अपूरणीय क्षति हुई है। राज्य ने एक महान लोक गायिका खो दिया है।

अपने फन से लोगों के दिलों पर राज करने वाली अंतर्राष्ट्रीय लोक गायिका सुरुज बाई एक ऐसी फनकार थीं, जो अपनी दिलकश आवाज के दम पर इतने दिनों तक जनता के दिलों पर राज करती रहीं। उन्होंने भरथरी जैसी प्राचीन परंपरागत शैली में गाए जाने वाले गीतों को न सिर्फ जिंदा रखा, बल्कि उनको नया आयाम भी दिया। उनको पूरी दुनिया के मंचों पर पहचान दिलाई।

भरथरी गायन में हारमोनियम, बांसुरी, तबला, मंजीरा का संगत होता है। देवी अहिल्याबाई पुरुस्कार से सम्मानित सुरुज बाई कई देशों में भरथरी लोक गायन का प्रदर्शन कर चुकी थीं।

उन्हें एसईसीएल में चतुर्थ कर्मचारी वर्ग में नौकरी मिली थी, लेकिन कुछ वर्ष पूर्व मोटरसाइकिल से दुर्घटना होने की वजह से नौकरी कर पाना संभव नहीं था, इसलिए उन्होंने 9 साल पहले ही रिटायरमेंट ले लिया। ज्ञात हो कि भरथरी गायन प्रसिद्ध राजा भर्तृहरि के जीवन वृत्त, नीति और उपदेशों को लोक शैली में प्रस्तुति है।

सुरुज बाई के हर कार्यक्रम में उनके साथ रहने वाले उनके पति लखन खांडे ने सुबकते-सुबकते कहा कि इतनी बड़ी गायिका को किसी ने पद्मश्री दिलाने तक की नहीं सोचा। लखन खांडे खुद भी एक अच्छे गायक हैं।

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