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SRIDEVI UPDATES : 10 बजे हुई मौत लेकिन पुलिस को 9 बजे ही चली गई थी कॉल

श्रीदेवी की मौत की जो वजह अब सामने आ रही है उसने अब उस सम्‍मान को छीनना शुरू कर दिया है जिस सम्‍मान की हर मौत हकदार होती है।

सबसे बड़ा सवालिया निशान दुबई अथॉरिटी ने मौत की वजह पर लगाया है। इसकी जांच होगी कि किसने सबसे पहले बताया कि श्रीदेवी की मौत कार्डियक अरेस्ट यानी दिल की धड़कनें रुक जाने से हुई है।

हड़बड़ी और ब्रेकिंग न्‍यूज के जंजाल में फंसी मीडिया ने भी शुरू ने ही मान लिया कि श्रीदेवी की मौत हार्टअटैक से हुई थी। मजे की बात यह है कि मीडिया के प्रतिष्ठित समझे जाने वाले संस्थानों ने श्रीदेवी की मौत की वजह को बिना किसी आधिकारिक बयान के ही हरी झंडी दे दी और उसे प्रसारित करने में जल्‍दबाजी दिखाई। मान लिया था। भला हो खलीज टाइम्‍स का जिसने तथ्‍यपरक रिपोर्टिंग की मिसाल पेश की और श्रीदेवी की मौत की वजह का आधिकारिक कारण भी दस्‍तावेज के साथ पेश किया।

पोस्ट मॉर्टम से पहले ही अफवाहों को बाजार गर्म हुआ। पार्थिव शरीर वापस आने और अंतिम संस्कार के अलग-अलग समय बताए जाने लगे। यह बहुत ही दुखद है। हम यह समझ पाने में नाकाम रहे हैं कि भारत में जिस तरह का वीआईपी सिंड्रोम काम करता है, वैसा दुबई में नही है। यहां पर हर कोई बराबर है। पुलिस अपने तरीके से काम करेगी। वे अपना काम जानते हैं।

दुबई पुलिस उन बातों पर भी ध्यान रखेगी, जिस तरह के बयान भारत में दिए जा रहे हैं. यहां की पुलिस किसी की परवाह नहीं करती। अगर भारत में किसी सीनियर राजनेता ने कहा कि श्रीदेवी कभी शराब नहीं पीती थीं, तो उनके खून से एल्कोहल के अंश कैसे मिले। अगर एक टीवी एंकर कहता है कि किसी खास आदमी ने कई फोन किए, तो पुलिस इसकी भी जांच करेगी। अगर किसी टीवी के न्यूज पैनल पर एक डॉक्टर आकर घोषणा करता है कि बाथटब में या डूबते हुए हार्ट अटैक नहीं हो सकता, तो पुलिस इसकी पुष्टि के लिए भी लोगों से बात करेगी। पुलिस इस वक्त श्रीदेवी के आखिरी समय के एक-एक लम्हे को फिर से देख रही होगी।

मीडिया में जो लोग हर मामले पर अपनी राय रखने के शौकीन हैं, वे इस मामले को जटिल बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे। भारत में व्‍यकित के ओहदे या सम्‍मान के मुताबिक उनसे बर्ताव किया जाता है। क्या हम ये उम्मीद कर रहे हैं कि चूंकि वो मशहूर हस्ती थीं, इसलिए दुबई से उनके शरीर को फटाफट प्लेन पर रखकर वापस भेज दिया जाएगा? शायद तमाम भारतीयों ने यही उम्मीद की होगी।

दुबई की बेहद प्रोफेशनल पुलिस जल्द से जल्द इस पूरे मामले से निकलना चाहती होगी। वे परेशानी नहीं चाहते, लेकिन वे इस तरह काम नहीं करते। जब तक सभी बिंदुओं की जांच वो नहीं कर लेते, तब तक वो नहीं रुकेंगे। इसलिए बेहतर होगा कि हम अपना मुंह बंद रखें और उन्हें अपना काम करने दें। जरूरत से ज्यादा बयान और चर्चाएं इस मामले को और उलझाएंगी। भारतीय राजदूत नवदीप सूरी और कौंसल जनरल विपुल कह रहे हैं कि कुछ दिन लग सकते हैं। आप पुलिस के साथ हड़बड़ी नहीं कर सकते। वे अपना काम तब तक नहीं खत्म करेंगे, जब तक पूरी तरह संतुष्ट न हो जाएं। इसमें कुछ सप्ताह भी लग सकते हैं। सही भी है क्‍योंकि ये हमारे देश की पुलिस नहीं है जो घटनास्‍थल पर जाते ही एफआर लगाने और नतीजों पर पहुंचने की जल्‍दी करती है। यहां तक हमारे देश की पुलिस राजनीतिक दबाव में किसी को भी बलि का बकरा बनाने से भी गुरेज नहीं करती।

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