राष्ट्रीय

मप्र से 10 लाख लोग कर चुके हैं पलायन : कांग्रेस

भोपाल, 25 फरवरी (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश में पानी की कमी के चलते बड़े हिस्से में पेयजल संकट गहरा गया है, वहीं खेती पर बुरा असर पड़ा है। इतना ही नहीं, राहत कार्य शुरू न किए जाने से 10 लाख से ज्यादा लोग काम की तलाश में पलायन कर गए हैं।

इस मसले को लेकर कांग्रेस विधानसभा के बजट सत्र में स्थगन प्रस्ताव लाने की तैयारी में है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने रविवार को एक बयान जारी कर कहा है कि प्रदेश में व्याप्त सूखे और पेयजल संकट के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति बदतर हो चुकी है, लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार लोगों की इस समस्या पर ध्यान देने के बजाय उसे नजरअंदाज कर रही हैं।

नेता प्रतिपक्ष सिंह ने मुख्यमंत्री से सवाल किया है कि प्रदेश के सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए जो साढ़े तीन हजार करोड़ की राहत केंद्र सरकार से मांगी थी, बताएं वह मिली या नहीं। प्रदेश की पांच करोड़ से अधिक की आबादी पेयजल संकट से जूझ रही है, वहीं 10 लाख से अधिक लोग राहत कार्य न खुलने की वजह से काम की तलाश में प्रदेश से बाहर के लिए पलायन कर गए हैं।

नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री और उनका पूरा मंत्रिमंडल पिछले एक माह से कोलारस और मुंगावली में पड़ा रहा, उसे उपचुनाव जीतने की चिंता तो रही, लेकिन सूखा, ओलावृष्टि, जलसंकट से प्रभावित पांच करोड़ लोगों का कोई ध्यान नहीं है।

अजय सिंह ने कहा कि अभी पूरी तरह गर्मी की शुरुआत नहीं हुई है और प्रदेश में फरवरी माह में ही जलस्तर नीचे चला गया है और ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लोगों में पेयजल को लेकर हाहाकार की स्थिति निर्मित हो गई है। प्रदेश में सवा पांच लाख हैंडपंप में से ढाई लाख हैंडपंप बंद पड़े हैं। जलस्तर नीचे जाने से 18 हजार से अधिक हैंडपंप सूख गए हैं। बिजली संकट के कारण 2674 नलजल योजनाएं बंद पड़ी हुई हैं। लगभग 12235 ऐसे ग्राम पंचायत हैं जो नलजल विहीन हैं।

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