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त्रिपुरा चुनाव : मोहनपुर में कांग्रेस को बागी से मिली चुनौती

नई दिल्ली, 14 फरवरी (आईएएनएस)| त्रिपुरा विधानसभा चुनाव 2018 जहां एक तरफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए राज्य में उगते सूरज की किरण लेकर आ रहा है, तो वहीं देश में अपने खोते अस्तित्व को बचाने में जुटी कांग्रेस के लिए यह किसी जंग से कम नहीं है।

कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती उन सीटों को बचाना होगी, जहां से पार्टी की टिकट पर चुनाव जीतने वाले विधायक भाजपा के साथ जा चुके हैं, जिसमें सबसे पहला नाम मोहनपुर विधानसभा सीट का आता है।

त्रिपुरा विधानसभा सीट संख्या-2 मोहनपुर निर्वाचन क्षेत्र। पश्चिम त्रिपुरा लोकसभा क्षेत्र के महत्वपूर्ण हिस्से मोहनपुर विधानसभा क्षेत्र के कुल मतदाताओं की संख्या 43,454 है। इस विधानसभा सीट पर कुल 22,012 पुरुष मतदाता और 21,442 महिला मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगी।

बात करें क्षेत्रीय राजनीति को 1972 में पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त होने के बाद मोहनपुर विधानसभा सीट पर 1972 और 1977 में हुए चुनाव में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राधारमन देब नाथ ने जीत हासिल की थी। लेकिन इसके बाद 1983 से लेकर 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस सीट को गंवाया नहीं। 1983 और 1988 में कांग्रेसी नेता धीरेंद्र नाथ देबनाथ और 1993, 1998, 2003, 2008 और 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता रतन लाल नाथ ने इस सीट को कांग्रेस की सबसे अहम सीटों में शुमार कर दिया।

पिछले 25 सालों से राज्य की सत्ता पर काबिज माकपा के लिए हर बार मोहनपुर विधानसभा सीट को जीतना टेढ़ी खीर रहा।

2018 विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा का हाथ पकड़ने वाले विधायक रतन लाल नाथ 22 दिसंबर को भाजपा में शामिल हुए थे। 1972 में कलकत्ता विश्वविद्यालय के एमबीबी कॉलेज से बी. ए. की परीक्षा पास कर स्नातक पेशेवर बने नाथ ने 1979 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से ही एलएलबी की परीक्षा पास की थी। वह विधानसभा में विपक्ष के नेता की भूमिका निभा रहे थे।

कांग्रेस के बागी नेता रतन लाल उस वक्त सुर्खियों में थे, जब 17 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव में नाथ ने राजद के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को वोट दिया था। रतन के ऊपर भाजपा नेताओं से करीबी संबंध के आरोप लगे थे, जिसके चलते उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया था। रतन लाल कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों की तारीफ कर चुके थे और अंत में वह भाजपा में शामिल हो गए।

भाजपा ने पांच बार के विधायक और बागी रतन लाल नाथ को ही मोहनपुर विधानसभा सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया है।

वर्तमान विधानसभा में अपनी अस्तित्व को बचाने में जुटी कांग्रेस के सिर्फ दो ही विधायक हैं। दरअसल पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के वामपंथी दलों से हाथ मिलाने के बाद कांग्रेस के छह विधायक तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे। जिसके बाद से पार्टी अपनी अंदरूनी लड़ाई लड़ रही है।

कांग्रेस ने मोहनपुर क्षेत्र से दिलीप कुमार घोष को मैदान में उतारा है। दिलीप त्रिपुरा कांग्रेस प्रदेश इकाई के कार्यकारी सदस्य हैं। इस चुनाव में दिलीप पर न केवल इस सीट को दोबारा से कांग्रेस के खेमे में लाने की होगी, बल्कि उनके ऊपर रतन लाल नाथ जैसे दिग्गज नेता को हराने की चुनौती होगी।

इसके अलावा हमेशा से इस सीट को जीतने की जद्दोजहद में दिखी माकपा ने सुभाष चंद्र देवनाथ को टिकट दिया है। देवनाथ ने 1978 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से परा-स्नातक और 1990 में त्रिपुरा विश्वविद्यालय से बीएड की परीक्षा पास की थी।

साथ ही मोहनुपर विधानसभा सीट पर आमरा बंगाली ने हरलाल देबनाथ को चुनाव मैदान में उतारा है।

भाजपा ने कांग्रेस के गढ़ मोहनपुर विधानसभा क्षेत्र में उसी के बागी को मैदान में उतारकर यहां अपनी स्थिति को मजबूत कर लिया है, ऐसे में कांग्रेस के लिए यहां जीत हासिल करना कांटों पर से गुजरने जैसा दिखाई दे रहा है।

60 सदस्यीय त्रिपुरा विधानसभा के लिए मतदान 18 फरवरी को होगा और वोटों की गिनती तीन मार्च को मेघालय और नगालैंड के साथ ही होगी।

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