मप्र उपचुनाव में सिंधिया को ‘अभिमन्यु’ बनाने की रणनीति!
भोपाल, 13 फरवरी (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश में होने जा रहे दो विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जीत से ज्यादा क्षेत्रीय सांसद व कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को घेरने की रणनीति बनाई है।
यही कारण है कि भाजपा के तमाम नेताओं के निशाने पर सिर्फ और सिर्फ सिंधिया हैं।
भाजपा उपचुनाव वाले दोनों क्षेत्रों में सिंधिया की राजनीतिक जमीन को कमजोर कर इस वर्ष के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले उन पर बढ़त हासिल करना चाहती है।
उपचुनाव राज्य के शिवपुरी जिले के कोलारस और अशोकनगर के मुंगावली विधानसभा क्षेत्र में होने जा रहे हैं। ये दोनों विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के संसदीय क्षेत्र गुना के अंतर्गत आते हैं। इस इलाके में सिंधिया राजघराने से जुड़े अन्य लोग भी प्रतिनिधित्व करते रहे हैं। वर्तमान में शिवपुरी से भाजपा की विधायक यशोधरा राजे सिंधिया हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य को सीधे तौर पर विकास विरोधी करार दे चुके हैं। उनका तर्क है कि अगर इस क्षेत्र के लोगों का विकास हो गया और लोग समझदार हो गए, तो वे सिंधिया से सवाल करने लगेंगे। सिंधिया इसलिए विकास नहीं चाहते। मतलब यह कि एक सांसद अपने फंड से विकास कार्य नहीं कराता और मुख्यमंत्री की चलाई विकास की बयार को दिल्ली से आकर रोक देता है।
राज्यसभा सांसद प्रभात झा ने तो सिंधिया पर हमला करते हुए यहां तक कह दिया कि इस इलाके का जो विकास हुआ है, उससे ज्यादा तो कोई सड़ा-गला सांसद भी कर देता। वह चुनाव के बाद विकास की हकीकत बताने के लिए पत्रकारों का भ्रमण कराएंगे।
राजनीति के जानकार भारत शर्मा कहते हैं, दरअसल, भाजपा के पास वर्तमान में अपनी उपलब्धियां बताने के लिए कुछ भी नहीं है। किसान बदहाल हैं, निराश होकर आत्महत्या कर रहे हैं, हक मांगने वाले किसानों पर गोली चलाई गई। कर्मचारी आंदोलन के रास्ते पर हैं। व्यापमं घोटाले से हजारों युवाओं का भविष्य अंधकारमय हो चुका है, इस घोटाले की जांच से जुड़े लोगों की मौत हुई, सो अलग। बेरोजगारों की फौज आक्रोश में है। ऐसे में सत्ताधारी पार्टी ने सबसे आसान तरीका सोचा है कि क्यों न सिंधिया को निशाना बनाया जाए।
उन्होंने कहा, राज्य में हर क्षेत्र के विकास की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री की होती है। सभी जानते हैं कि सांसद अपने फंड से उतना विकास कार्य नहीं करा सकता, जितना राज्य सरकार करा सकती है। मगर भाजपा अपनी नकारात्मक राजनीति के तहत कोलारस व मुंगावली के विकास के मुद्दे पर सिंधिया को घेरने का प्रयास कर रही है, लेकिन यह नहीं बता रही है कि राज्य में 15 साल और केंद्र में चार साल से सरकार किसकी है।
राज्य के जनसंपर्क मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा तो सिंधिया के गरीब और आदिवासी के घर जाने पर भी चुटकी लेते हैं। उनका कहना है, राजा का काम यह थोड़े है कि वह गरीब के यहां खाना खाए, बल्कि उसकी कोशिश यह होनी चाहिए कि गरीब उन जैसा खाना खाए।
एक तरफ जहां सरकार और संगठन से जुड़े लोग सीधे सिंधिया पर हमला कर रहे हैं, वहीं सिधिया व्यक्तिगत हमलों से बच रहे हैं। सिंधिया लोगों से अपील यही कर रहे हैं कि इन उपचुनाव के नतीजों का प्रदेश ही नहीं, देश में बड़ा संदेश जाने वाला है, इसलिए यहां भाजपा को ऐसा सबक सिखाएं कि वे उसे भुला न पाएं और बोरिया बिस्तर बांधकर उन्हें जाने को मजबूर होना पड़े।
भाजपा ने अशोकनगर के मुंगावली और शिवपुरी के कोलारस में संगठन के पदाधिकारी, सांसद, विधायकों से लेकर सरकार के 15 से ज्यादा मंत्रियों को तैनात कर रखा है। इनमें मंत्री जयभान सिंह पवैया, नरोत्तम मिश्रा, भूपेंद्र सिंह, यशोधरा राजे सिंधिया, जालम सिंह पटेल, नारायण कुशवाहा और रुस्तम सिंह प्रमुख हैं। इन सभी की सभाओं में सिंधिया सीधे निशाने पर होते हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि सिंधिया पर सीधे हमला करने से भाजपा को ज्यादा फायदा नहीं होगा, बल्कि नुकसान ही होगा। इसलिए कि सिंधिया परिवार के प्रति यहां के लोगों में अब भी भरोसा है। इसके अलावा सिंधिया पर अपराधियों का साथ देने, भ्रष्टाचार में लिप्त होने जैसे आरोप नहीं हैं।
शिवपुरी के कोलारस में कांग्रेस के महेंद्र यादव का भाजपा के देवेंद्र जैन और अशोनगर के मुंगावली विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह यादव का भाजपा की बाई साहब से मुकाबला है। ये दोनों क्षेत्र कांग्रेस के कब्जे में थे, विधायकों के निधन पर यहां उपचुनाव हो रहे हैं।
इन दो उपचुनावों में भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी है, वहीं कांग्रेस की ओर से पूरी बागडोर सिंधिया संभाले हुए है। यह उपचुनाव मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और सिंधिया दोनों के लिए अहम है, क्योंकि विधानसभा के आम चुनाव में इन नतीजों का शोर ज्यादा रहेगा।
युवा नेता सिंधिया कांग्रेस के भावी मुख्यमंत्री का चेहरा हैं, इसलिए भाजपा और खासकर शिवराज की कोशिश है कि अगर सिंधिया को उनके ही क्षेत्र में कमजोर कर दिया जाए, तो आने वाले चुनाव जीतना उनके लिए आसान हो जाएंगे। वहीं सिंधिया के राजनीतिक भविष्य का टर्निग प्वाइंट साबित हो सकते हैं ये उपचुनाव।