गुरुद्वारों ने मुफ्त लंगर में चुकाया दो करोड़ का जीएसटी, जेटली के टैक्स न लेने के बयान को बताया झूठा
उत्तरी भारत के गुरुद्वारों में मुफ्त भोजन सुविधा ‘लंगर’ को जारी रखने में सात माह पहले लागू किए गए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की वजह से मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में गुरुद्वारा का प्रबंधन देखने वाली शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) ने दावा किया है कि जीएसटी लागू होने के बाद मुफ्त भोजन सेवा को आगे बढ़ाने में अतिरिक्त वित्तीय भार का सामना करना पड़ रहा है।
अमृतसर के प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर में एसजीपीसी ने दावा किया कि लगभग दो करोड़ रुपये जीएसटी देना पड़ा है।
स्वर्ण मंदिर परिसर में सप्ताहंतों और अन्य व्यस्त दिनों में विभिन्न धर्मो, संस्कृति, जातियों, देशों और लिंगों के लगभग 1 लाख से ज्यादा लोगों को मुफ्त भोजन मुहैया कराया जाता है। सामान्य दिनों में यहां तकरीबन 50 हजार लोग भोजन करते हैं।
पूरी तरह से मुफ्त में शाकाहारी भोजन कराने वाला यह सामुदायिक भोजनालय विश्व में इस तरह की सेवा करने वाले सबसे बड़े भोजनालयों में से एक है।
एसजीपीसी के प्रवक्ता दिलजीत सिंह बेदी ने कहा, “पिछले साल जीएसटी लागू होने के बाद लंगर के लिए राशन और प्रसाद खरीदने में हमें 2 करोड़ रुपये की राशि जीएसटी के तहत देनी पड़ी। हमें 1 जुलाई 2017 से 31 जनवरी 2018 तक स्वर्ण मंदिर में लंगर के लिए विभिन्न सामग्रियों को खरीदने में 2 करोड़ रुपये बतौर जीएसटी चुकाने पड़े।”
लंगर के लिए स्वर्ण मंदिर परिसर और अन्य गुरुद्वारों में वार्षिक रूप से हजारों टन गेंहू, देशी घी, चावल, सब्जियां, दूध, चीनी, और चावल का प्रयोग किया जाता है। इसके साथ ही लाखों लीटर पानी का भी प्रयोग होता है।
एसजीपीसी के अधिकारियों ने कहा कि पूरे देश के गुरुद्वारा रोजाना के आधार पर लंगर के माध्यम से 1 करोड़ लोगों को मुफ्त में खाना खिलाते हैं।
एसजीपीसी ने पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्त मंत्री अरुण जेटली और जीएसटी परिषद को पत्र लिख कर खाने-पीने के उस कच्चे माल पर जीएसटी नहीं लगाने का आग्रह किया है जिन्हें वह खरीदती है।
एसजीपीसी ने जेटली के हालिया बयान पर भी आपत्ति जताई जिसमें कहा गया था कि ‘विभिन्न गुरुद्वारों में लंगर के माध्यम से दिए जाने वाले मुफ्त भोजन पर जीएसटी नहीं लगाया गया है।’
एसजीपीसी अध्यक्ष गोबिंद सिंह लोंगोवाल ने जेटली के इस बयान को सत्य और तथ्य से काफी दूर कहा।
उन्होंने कहा, “यह बयान सत्य और तथ्य से कोसों दूर है। लंगर सामग्रियों की खरीद पर जीएसटी लिया जा रहा है।”
जेटली ने हाल ही में कहा था, “जीएसटी उन उत्पादों पर लगाया जाता है, जिसे बेचा जाता है। गुरुद्वारा में मुफ्त में भोजन का वितरण किया जाता है, इसलिए इस पर जीएसटी लगाने का कोई सवाल नहीं है। अगर कोई यह कहता है कि हम मंदिर के लिए घी खरीद रहे हैं तो आटा या चावल पर जीएसटी नहीं लगता है।”
‘एक देश एक कर’ के अंतर्गत लागू किए गए जीएसटी कर प्रणाली के तहत, एसजीपीसी ने अमृतसर में स्वर्ण मंदिर परिसर और अन्य गुरुद्वारों में सामाजिक-धार्मिक गतिविधियों के अंतर्गत जीएसटी की वजह से 10 करोड़ रुपये के अतिरिक्त भार का अनुमान लगाया है।