मोदी की विदेश नीति तटस्थ कम, घुमावदार ज्यादा
नई दिल्ली, 11 फरवरी (आईएएनएस)| कांग्रेस सांसद और पूर्व विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत की विदेश नीति में थोड़ी ऊर्जा लेकर आए हैं, लेकिन देश के पड़ोस के लिए उनकी रणनीति में तटस्थता नहीं है।
थरूर ने आईएएनएस को दिए एक साक्षात्कार में खासतौर पर पाकिस्तान और चीन का जिक्र करते हुए कहा कि भारत के दो सबसे करीबी पड़ोसियों के साथ उनका रुख ढुलमुल रहा है, जो प्रधानमंत्री की भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक नीति को खोखला साबित करता है।
उन्होंने साथ ही कहा कि सरकार द्वारा भारत की विदेश नीति को एक पीआर और मार्केटिंग गतिविधि तक ही समेट देना विश्व में भारत के वास्तविक दर्जे के अनुरूप नहीं है।
थरूर ने कहा, मोदी ने विदेश नीति के मामले में काफी ऊर्जा और गतिशीलता का संचार किया है। वह लगातार यात्रा करते हैं और यह अच्छा है। वह जहां भी जाते हैं, वहां जोश से भरपूर छाप छोड़ते हैं। यह एक सकारात्मक पहलू है।
थरूर ने कहा कि लेकिन ऐसे पहलू भी हैं, जो चिंतनीय हैं।
उन्होंने कहा, इनमें से एक यह है कि पाकिस्तान के मामले में उनकी नीति में कोई तटस्थता नहीं है, जो बेहद उथल-पुथल भरी और बेहद उलझन भरी है।
उन्होंने कहा कि एक ओर जहां मोदी बार-बार दोहराते हैं कि जबतक सीमा पार से आतंकवाद खत्म नहीं हो जाता, तबतक पाकिस्तान के साथ कोई संपर्क नहीं होगा, वहीं दूसरी ओर अचानक ही बैंकाक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की मुलाकात की घोषणा की जाती है।
थरूर ने जम्मू एवं कश्मीर में आतंकी गतिविधियों के संदर्भ में कहा कि पिछले दो सालों में हालात ‘बदतर’ हो गए हैं। उन्होंने कहा कि उसके बावजूद पिछले साल 25 दिसंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने फिर से अपने पाकिस्तानी समकक्ष नसीर खान जांजुआ से बैंकाक में मुलाकात की।
उन्होंने कहा, दुखद है कि हम आतंकवादी घटनाओं में वृद्धि देख रहे हैं। इस सबसे मुझे लगता है कि भारत की पाकिस्तान नीति में स्थिरता की कमी है।
उन्होंने कहा, विदेश नीति केवल पीआर और मार्केटिंग तक ही सीमित रह गई है, जो कि हमने घरेलू मुद्दों में भी देखा है। घरेलू मुद्दों में इसका ज्यादा नुकसान नहीं होता, लेकिन विदेश नीति में इसका भारी नुकसान होता है, क्योंकि यह विश्व में भारत के दर्जे और भारतीयों की सुरक्षा को भी प्रभावित करता है।
थरूर ने चीन के साथ डोकलाम विवाद के संदर्भ में यह कहा, जहां पूरे प्रकरण को एक बड़ी कूटनीतिक जीत कहा गया।
उन्होंने कहा, यह पता चला है कि चीनी केवल 200 मीटर ही हटे और उन्होंने खुद को उसी पठार पर एक असाधारण सीमा पर प्रबल कर लिया है, ताकि जब भी बर्फ पिघले और हम हिलना चाहें तो युद्ध की बात किए बिना हम विरोध न कर पाएं।
थरूर ने कहा कि सितंबर 2016 में पाकिस्तान में आतंकवादी लॉन्च पैड्स के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक को भी एक बड़ी जीत कहा गया। बताया गया कि इससे आतंकवाद पर लगाम लगी है।
उन्होंने कहा, और असल में उसके बाद से आतंकवाद में और सीमा पार की घुसपैठ के कारण होने वाली मौतों में इजाफा हुआ है..।
थरूर ने कहा कि किसी भी भारतीय सरकार का यह कर्तव्य है कि वह अपनी जनता के साथ ईमानदार रहे।