भारतीय संस्कृति और संस्कारों के लिए तकनीक बनी चुनौती: सुनील भराला
मेरठ मवाना ऋषभ एकेडमी के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे पंडित सुनील भराला पूर्व राष्ट्रीय सह-संयोजक भाजपा झुग्गी झोपड़ी प्रकोष्ठ व प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य, भाजपा ने कहा कि वर्तमान समय में हमारी संस्कृति और संस्कारों को बचाना हमारे परिवार के लिए चुनौती बन गया। स्मार्टफोन और व्हाट्सएप के कारण हमारी संस्कृति में आमूलचूल परिवर्तन आया है हमारी मिलनसारी प्रवृत्ति को तकनीक ने ध्वस्त कर दिया है।
पंडित सुनील भराला ने कहा कि यदि परिवार में पांच सदस्य हैं तो सभी के पास स्मार्टफोन है और सभी आपस में बात करने की बजाय व्हाट्सएप में व्यस्त रहते हैं। वर्तमान माहौल में विद्यार्थियों का पढ़ाई से ज्यादा समय पोर्न और अश्लील वीडियो देखने में बीतता है। यही वजह है कि आज पांच वर्ष तक के मासूमों को भी दुराचार का शिकार होना पड़ता है।
भराला ने कहा कि मोबाइल के कारण हमारी युवा पीढ़ी गलत दिशा में जा रही है और विद्यालयों से शिक्षा प्राप्ति में कमी आई है। विद्यालयों को इंटरमीडिएट तक बच्चों को स्मार्टफोन प्रतिबंधित कर देना चाहिए। विद्यालय इस दिशा में प्रयासरत रहते हैं लेकिन इसे कड़ाई से लागू करने पर बच्चों के माता-पिता स्वतंत्रता में हनन की बात करते हैं। इस पर अभिभावको को भी पूर्ण सहयोग देना पड़ेगा। देश में व्यायाम और योग की प्राचीन परम्परा है। यह ऋषियों द्वारा हमें विरासत में मिला है। वह योग भारत से विदेशों में जाकर पुन: भारत लौटता है तो योगा बन जाता है।
सुनील भराला ने कहा कि भौतिकवादी और आधुनिकता की तरफ बढ़ते युवाओं के कदम हमारी संस्कृति के लिए बहुत बड़ा खतरा है। यही कारण है कि उनकी परिवार के प्रति संवेदना कम हो रही है। इसे रोकने का एक ही तरीका है कि विद्यालयों में स्मार्टफोन पूर्णत: प्रतिबंधित कर दिया जाए और गुरु शिष्य की परम्परा का निर्वहन हो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में ‘खेलो भारत’ का शुभारंभ करके पूरे देश को खेल के प्रति जागरूक करने और स्वस्थ जीवन का संदेश दिया है। इसका यह भी उद्देश्य है कि हम स्मार्टफोन की आभासी दुनिया से निकलकर वास्तविकता में जीवन गुजारें।