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उप्र : बुंदेलखंड में सिर्फ 20 फीसद किसानों का कर्ज माफ!

बांदा, 9 फरवरी (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड में सभी उन्नीस विधानसभा सीटें जीतने वाली सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ‘कर्ज’ और ‘मर्ज’ के बोझ तले दबे बुंदेली किसानों की कितना हमदर्द है, इसकी बानगी उसकी ‘कर्जमाफी’ योजना में लाभान्वित किसानों से मिलती है।

राज्य सरकार ने अपनी इस अति महत्वाकांक्षी योजना के तहत सिर्फ बीस फीसदी लघु एवं सीमांत किसानों का ही कर्ज माफ कर सकी है, बाकी अब भी आस लगाए बैठे हैं।

साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने किसानों के कर्ज माफ करने का संकल्प लिया था। इसी संकल्प से प्रभावित होकर बुंदेलखंड के किसानों ने सभी 19 विधानसभा की सीटें भाजपा की झोली में डाल दीं। यह बात अलग है कि बाद में कर्जमाफी को ‘चुनावी जुमला’ करार देते हुए सरकार एक लाख रुपये तक के ही कर्ज माफ करने पर उतर आई। इसमें भी सात जिलों- बांदा, चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर, जालौन, झांसी और ललितपुर के लघु एवं सीमांत कृषक 20 फीसदी ही लाभान्वित हो पाए और अस्सी फीसदी कर्जदार किसान अब भी कर्जमाफी की उम्मीद लगाए बैठे हैं।

राज्य सरकार के आंकड़े बताते हैं कि 11 दिसंबर, 2017 तक लाभान्वित 20 फीसदी किसानों की कुल संख्या-2,39,453 है और इनका सरकारी ऋण 14 अरब, 60 करोड़, 85 लाख रुपये माफ किया गया है।

विधान परिषद में कृषिमंत्री सूर्य प्रताप शाही ने सदस्य नसीमुद्दीन सिद्दीन के तारांकित दो प्रश्नों के लिखित उत्तर में बताया कि ’11 दिसंबर 2017 तक बांदा के 38,990 लघु एवं सीमांत कृषकों का 2 अरब, 53 करोड़ 99 लाख रुपये, चित्रकूट के 19,756 किसानों का एक अरब, 15 करोड़, 95 लाख रुपये, हमीरपुर के 28,924 किसानों का एक अरब, 70 करोड़, 95 लाख रुपये, महोबा के 28,555 किसानों का एक अरब, 84 करोड़, 98 लाख रुपये, जालौन के 42,195 किसानों का दो अरब, 68 करोड़, 98 लाख, झांसी के 45,539 किानों का दो अरब, 59 करोड़, 10 लाख और ललितपुर के लघु एवं सीमांत किसानों का कर्ज माफ किया गया है।’

इससे साफ जाहिर है कि करीब अस्सी फीदी किसानों को राज्य सरकार ने अपनी इस योजना से महरूम किया है, जबकि लगभग तीन दशक से यहां का किसान प्राकृतिक आपदा के चलते ‘कर्ज’ और ‘मर्ज’ के बोझ तले दबा हुआ है और इनकी हालत महाराष्ट्र के विदर्भ से भी ज्यादा बदतर है।

प्रगतिशील किसान प्रेम सिंह बड़ोखर का कहना है, तीन दशक से प्राकृतिक आपदा से जूझ रहे किसानों का राज्य सरकार कर्ज भले ही माफ न करे, लेकिन खाद, बीज और पानी मुफ्त कर दे तो शायद अन्नदाता उबर सकता है।’ इन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान यहां के किसानों को उम्मीद थी कि भाजपा की सरकार बनते ही सभी किसानों के सभी प्रकार के कर्ज माफ किए जाएंगे, इसी उम्मीद से किसानों ने भी 19 सीटें भाजपा की झोली में डालकर वफादारी दिखाई थी।

बुजुर्ग किसान नेता और जिला पंचायत बांदा के पूर्व अध्यक्ष कृष्ण कुमार भारतीय राज्य सरकार के इस पैंतरे से बेहद खफा हैं। वे कहते हैं, भाजपा किसानों का हमदर्द बनकर सत्ता में आई है और अब सिर्फ बीस फीसदी किसानों की कर्जमाफी कर अपनी घोषणा से मुकर गई। यह फरेब नहीं तो क्या है?

उन्होंने कहा कि बुंदेली किसानों के ऊपर अरबों रुपये का जहां सरकारी कर्ज चढ़ा है, वहीं करोड़ों रुपये साहूकारों का कर्ज उनकी नींद हराम किए हुए है। इतना ही नहीं, किसान गंभीर ‘मर्ज’ के शिकार भी हो चुके हैं, फिर भी राज्य सरकार बेफिक्र है।

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