चीन ने मालदीव संकट पर संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप का विरोध किया
बीजिंग, 8 फरवरी (आईएएनएस)| चीन ने गुरुवार को इशारा करते हुए कहा कि वह मालदीव में उत्पन्न राजनीतिक संकट में संयुक्त राष्ट्र के किसी भी हस्तक्षेप का विरोध करेगा।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद मालदीव में उत्पन्न राजनीतिक हालात पर चर्चा करेगी जहां राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने आपातकाल लगाया है और देश के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल गयूम व प्रधान न्यायाधीश को जेल में बंद कर दिया है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने यहां कहा, चीन, मालदीव में स्थिति का करीबी से अवलोकन कर रहा है। चीन को लगता है कि मालदीव में मौजूदा स्थिति और विवाद उस देश का आंतरिक मामला है।
गेंग ने कहा, इसे संबंधित पक्षों को समुचित तरीके से वार्ता और संपर्क कर सुलझाना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को मालदीव की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का आदर करना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को संबंधित पक्षों के बीच वार्ता के लिए सकारात्मक भूमिका निभाना चाहिए।
वह इस प्रश्न का जवाब दे रहे थे कि क्या मालदीव संकट में संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप का चीन समर्थन करेगा।
गेंग ने कहा, चीन, मालदीव में मौजूदा स्थिति पर संबंधित पक्षों के साथ संवाद बनाए रखना चाहता है ताकि वहां स्थिति जल्द से जल्द सामान्य हो सके।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटानियो गुटेरस ने मंगलवार को मालदीव सरकार से देश में आपातकाल हटाने की अपील की थी।
सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य देश चीन ने पहले ही मालदीव में किसी भी प्रकार के बाहरी हस्तक्षेप का विरोध किया है। जबकि पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद भारत से बार-बार मालदीव में सैन्य हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं। नशीद ने चीन पर जमीन हड़पने और यामीन का समर्थन करने का आरोप लगाया है।
नशीद के आरोपों पर गेंग ने कहा, मुझे लगता है कि इस तरह कि टिप्पणी पूरी तरह गलत है। जब नशीद राष्ट्रपति थे, चीन ने मालदीव को सहायता की पेशकश की थी। व्यवहारिक सहयोग से बहुत कुछ हासिल हुआ है।
उन्होंने कहा, मालदीव के साथ राजनीतिक सहयोग में चीन का कोई राजनीतिक तार नहीं जुड़ा हुआ है। चीन, मालदीव की स्वतंत्रता को कभी खतरे में नहीं डालेगा। मालदीव में चीन का दोस्ताना सहयोग देश के सभी लोगों के लिए है और इससे दोनों देशों के हितों को फायदा होगा।
चीन के लिए रणनीतिक लिहाज से मालदीव काफी महत्वपूर्ण है। पिछले वर्ष यामीन सरकार ने चीन के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किया था और चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एवं रोड परियोजना को भी समर्थन किया था।