स्वास्थ्य

धर्म के नाम पर इस समुदाय की 75 प्रतिशत लड़कियों का होता है खतना

नई दिल्ली। महिला जननांग विकृति (Femal Genital Mutilation) या ‘खफ़्द’ को लेकर सरकार ने चौंकाने वाले आंकड़े जारी किए हैं। स्टडी के मुताबिक दाऊदी बोहरा समुदाय की लगभग तीन चौथाई महिलाओं को खतने जैसी क्रूर धार्मिक परंपरा से दो चार होना पड़ता है। इस समुदाय की 75 फीसदी महिलाओं को खतना का दंश झेलना पड़ता है।

बता दें कि ये आंकड़े सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद जारी किए हैं। सुप्रीम कोर्ट में एफजीएम को लेकर याचिका डाली गई थी। इसमें सुप्रीम कोर्ट में सरकार से इस प्रथा पर आंकड़े जारी करने को कहा था।

एक साल के शोध के बाद तैयार की गई “द क्लिटोरल हूड ए कंटिस्टेड साइट” शीर्षक वाली इस रिपोर्ट को “इंटरनेशनल डे ऑफ जीरो टॉलरेंस फॉर एफजीएम” के मौके पर जारी किया गया। रिपोर्ट में इस प्रक्रिया के विरोध और समर्थन में दोनों ही पक्षों की राय को शामिल किया गया है। कुल मिलाकर 94 इंटरव्‍यू लिए गए हैं। देश की सुप्रीम कोर्ट खतने की प्रक्रिया पर रोक से जुड़ी याचिका पर विचार कर रहा है।

शोध में पता चला है कि 97 प्रतिशत महिलाओं ने बताया कि बचपन में उसके साथ की गई इस प्रथा के दौरान उसे बेहद पीड़ा से गुजरना पड़ा था। वही, हर तीसरी महिला कहती है कि इस प्रक्रिया से सेक्स लाइफ पर भी खराब असर पड़ा है। 10 प्रतिशत महिलाओं ने बताया कि एफजीएम के दौरान मूत्र संक्रमण जैसी बीमारियां हो जाती हैं।

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