हास्य राजनीति का अहम हिस्सा : शत्रुघ्न सिन्हा
मुंबई, 4 फरवरी (आईएएनएस)| अभिनेता व राजनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने हाल ही में राजस्थान में हुए उपचुनाव के नतीजे देखकर कहा था कि ‘राजस्थान की जनता ने भाजपा को तीन तलाक दे दिया है’, जो बंगाल से भाजपा सांसद बाबुल सुप्रियो पर नगवार गुजरा।
सिन्हा ने गायक से सांसद बने सुप्रियो के साथ मतभेदों को दरकिनार करते हुए कहा कि राजनीति में हास्य महत्वपूर्ण है।
शत्रुघ्न ने तीन तलाक वाला बयान अपनी अनूठी शैली में दी। जिस पर सुप्रियो ने कहा था, शत्रुघ्न सिन्हा जी को बोलता हूं कि आपको इतनी नफरत है तो क्यों रोज आके संसद में बैठते हैं? क्यों ऐसी परिस्थितियां पैदा करते हैं कि दूसरों को बोलना पड़े खामोश! ड्रेसिंग रूम की बात वहीं रहनी चाहिए। आप तीन तलाक दीजिए और खुद भाजपा छोड़ दीजिए।
पलटवार करते हुए शत्रुघ्न ने कहा, बाबुल अभी बच्चा है। नया जोश है वफादारी दिखाने का। लेकिन उसकी चापलूसी का स्तर दुखद है।
उन्होंने कहा, मैं तब से राजनीति में हूं, जब वह भी पैदा भी नहीं हुआ था और मैं तब से फिल्म जगत का हिस्सा हूं, जब उसने इसके बारे में सोचा भी नहीं होगा। उसे यह सोचना चाहिए कि वह किसे खामोश कह रहा है और वह ऐसा क्यों कर रहा है।
सिन्हा ने कहा, मैं सत्ताधारियों को खुश करने की उसकी ललक को समझ सकता हूं। आखिरकार उसे एक मंत्रालय का प्रभार दिया गया है, हालांकि जिसका कोई औचित्य नहीं है, और उसे वह दया याचिका के आधार पर दिया गया है। वह उन नए लोगों जैसा है, जिसने मेरी फिल्मों के सेट पर काम शुरू किया और अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए जब कैमरा रोल हुआ तो उसने संकेत दिए, हाथ दिखाए और ऊपर-नीचे कूदा।
शत्रुघ्न ने कहा कि वह इन खराब हालात में अपनी तीन तलाक वाली टिप्पणी को हास्य में बदलने का प्रयास कर रहे थे।
उन्होंने कहा, सबसे पहले बाबुल को यह समझना चाहिए कि हास्य राजनीति का सबसे जरूरी हिस्सा है। देश में क्या हो रहा है, अगर इसको लेकर हम हंसेंगे नहीं तो हम रोते-रोते मर जाएंगे।
सिन्हा ने कहा, दूसरा, उसका ड्रेसिंग रूम की बातचीत से क्या मतलब है? क्या हम सभी नग्न होकर अपने कपड़े पहनाए जाने का इंतजार कर रहे होते हैं, वहीं महान बाबुल हमारे ड्रेसिंग रूम में हम सभी को डांट रहे होते हैं? और मत भूलिए, अगर आपका आपका मतलब ड्रेसिंग रूम की बात से है तो आप भी शोबिज के उसी ड्रेसिंग रूम में काम की तलाश में जाते रहे हैं।
उन्होंने कहा, इसलिए अगली बार मुझे खामोश बोलने से पहले सोचिए कि आप देश के सामने क्या कहेंगे, जब वह आपको कहेगा खामोश! लोग दुखी, आहत और विश्वासघात महसूस कर रहे हैं। चापलूसी की राजनीति नहीं चलेगी।