सहपीडिया ने शुरू किया महीनेभर का ऑनलाइन फेस्टिवल
नई दिल्ली, 4 फरवरी (आईएएनएस)| भारतीय कला और संस्कृति के ऑनलाइन इनसाइक्लोपीडिया ‘सहपीडिया’ और येस बैंक के संयुक्त तत्वावधान में पूरे महीने चलने वाला ऑनलाइन फेस्टिवल शुरू किया गया है। इस फेस्टिवल के तहत लगभग हर दिन यूट्यूब चैनल पर सुबह 10 बजे एक फिल्म रिलीज की जाएगी। हर फिल्म में व्यक्ति, कला, परंपराओं या वास्तुकला के रूप में उपमहाद्वीप की विरासत के एक उल्लेखनीय पहलू को उजागर किया गया है। ऑनलाइन हेरिटेज फिल्म फेस्टिवल के दौरान घुमंतू फिल्मकारों के कैमरों के जरिए अमर हस्तियों की जीवनियों, विस्मृति के अंधेरे में खो चुके पुरुषों और महिलाओं की कहानियों, विलुप्त हो रही परंपराओं और भारत की अनोखी विरासत को प्रस्तुत किया जा रहा है।
इंडिया हेरिटेज वॉक फेस्टिवल 2018 नामक यह फेस्टिवल अनेक शहरों में आयोजित होगा, जिसके तहत भारत के सांस्कृतिक एवं कलात्मक विरासत को उजागर करने वाली फिल्मों को प्रदर्शित किया जाएगा।
भारतीय कला और संस्कृति के ऑनलाइन इनसाइक्लोपीडिया ‘सहपीडिया’ और येस बैंक के व्यावसायिक विचार मंच येस ग्लोबल इंस्टीट्यूट के सांस्कृतिक प्रभाग, येस कल्चर द्वारा यह फेस्टिवल आयोजित किया गया है। इसका उद्देश्य लोगों को अपने शहरों और कस्बों की मूर्त और अमूर्त विरासत की तलाश करने के लिए प्रोत्साहित करना है।
इस फेस्टिवल का शुभारंभ गुरुवार (एक फरवरी) को रवींद्रनाथ टैगोर पर सत्यजित रे के पुरस्कार विजेता वृत्तचित्र को प्रदर्शित कर किया गया। यह वृत्तचित्र फिल्म प्रभाग की ओर से 1961 में बनाया गया था। इस फेस्टिवल में कुल 25 फिल्में प्रदर्शित की जाएंगी। इसके तहत प्रसिद्ध नर्तक और सीबीएफसी के प्रमुख लीला सैमसन सहित कई जाने-माने कलाकारों की कृतियों को प्रदर्शित किया जाएगा।
केया वासवानी और निधि कामथ की वीवर्स ऑफ महेश्वर (2009) वैसे लोगों की कहानी है जिन्होंने लुप्तप्राय हथकरघा शिल्प को पुनर्जीवित करने के लिए कड़ी मेहनत की है। मनोज भंडारे और राजू हितलामानी की द सारंगी-स्टोरी ऑफ ए म्यूजियम (2015) काठमांडू के संग्रहालय और संगीत और नेपाल के संगीत वाद्ययंत्रों के माध्यम से एक यात्रा है। सोमनाथ वाघमारे की बैटल ऑफ भीम कोरेगांव (2017) में भूले बिसरे महार (अछूत) सैनिकों की वीरता को उजागर किया गया है जिन्होंने महाराष्ट्र में पेशवा शासन को उखाड़ फेंका।
कुछ क्लासिक्स में कलामंडलम गोपी (1999), डागर परिवार (डागरवानी – 1993) के ध्रुपद उस्तादों और गुरु केलुचरण महापात्र (भावंतरण – 1991) जैसी हस्तियों के जीवन को उजागर किया गया है, जबकि अन्य फिल्में दर्शकों को शिलांग चैंबर कोइर (2008), मिस्टिक ऑफ मुर्शिदाबाद (2014), लिटिल मैगजीन्स ऑफ वॉइसेस (2014) और हैदराबादी ट्रिस्ट विद इटार (2017) जैसे कम ज्ञात रत्नों से रूबरू कराती हैं।
प्रदर्शित की गई फिल्मों को पूरे महीने ऑनलाइन देखने की सुविधा भी उपलब्ध होगी।
आईएचडब्ल्यूएफ के महोत्सव निदेशक और सहपीडिया के सचिव वैभव चैहान कहते हैं, हमने इंडिया हेरिटेज वॉक फेस्टिवल के तहत फिल्म महोत्सव आयोजित किया, जो हमारे समृद्ध विरासत और संस्कृति पर विविध प्रकार की सामग्री प्रदान करने के सहपीडिया के विजन को समर्थन देने का एक प्रयास है। हालांकि विरासत पर मल्टीमीडिया सामग्री काफी अधिक उपलब्ध हैं, जिन्हें प्रसार-प्रचार की आवश्यकता है। इन्हें प्रामाणिक और व्यापक फैशन के रूप में दस्तावेज के रूप में संग्रह किये जाने की भी जरूरत है। हम इस फिल्म महोत्सव के माध्यम से इसे प्रोत्साहित करने और इस डोमेन में रचनात्मक कार्यों के लिए एक मंच प्रदान करने में सहपाडिया की भूमिका को उजागर करने की उम्मीद करते हैं।