BUDGET 2018 : मिडिल क्लास और नौकरीपेशा लोगों को हाथ लगी निराशा, इनकम टैक्स में बदलाव नहीं
नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद में मोदी सरकार का पांचवां पूर्णकालिक बजट पेश कर दिया है। वित्त मंत्री की ओर से बजट पेश किए जाने से पहले संसद ने दिवंगत सांसद चिंतामणी को श्रद्धांजलि दी है।
वित्त मंत्री ने टैक्स के मोर्चे पर कंपनियों को बड़ी राहत दी है। पिछले साल के मुकाबले इसे आगे बढ़ाते हुए जिन कंपनियों का टर्नओवर सालाना 250 करोड़ है उन्हें भी कॉर्पोरेट टैक्स में 25 प्रतिशत टैक्स देना होगा। इससे देश की 99 प्रतिशत बहुत छोटे, छोटे और मझोले उद्योगों को फायदा होगा। वित्त मंत्री ने नौकरीपेशा लोगों को मायूसी हाथ लगी है।
सरकार ने इस बार बजट में मध्यम वर्ग को कोई राहत नहीं दी है। आम बजट में सरकार ने इन्कम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया है। लेकिन स्टैंडर्ड डिडक्शन की फिर से शुरुआत कर दी गई है। इससे जितनी सैलरी है उसमें से 40 हजार घटाकर टैक्स लगेगा।
अरुण जेटली बोले कि कालेधन के खिलाफ मुहिम से टैक्स देने वालों की संख्या बढ़ी है। टैक्स देने वाले 19.25 लाख बढ़े और इनकम टैक्स कलेक्शन 90 हजार करोड़ बढ़ा। 85.51 नए करदाता जुड़े। उन्होंने कहा कि टैक्स भरने में ईमानदारी अब भी कम है और टैक्स भरने में लोग अभी भी हिचकचाते हैं। डायरेक्ट टैक्स कलैक्शन में 12.6 फीसदी की बढ़ौतरी हुई है।
जेटली बोले कि 250 करोड़ रुपए तक का कारोबार करने वाली कंपनियों के लिए टैक्स की दर घटाकर 25 प्रतिशत करने का प्रस्ताव। आयकर दाताओं की संख्या 2014-15 में 6.47 करोड़ से बढ़कर 2016-17 में 8.27 करोड़ हो गई। 100 करोड़ रुपए का कारोबार वाली फार्मर प्रोड्यूशर कंपनियों को आयकर में शत प्रतिशत छूट दी गई है।
पिछली बार भी नहीं किया था कोई बदलाव
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले बजट में भी आयकर स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया था लेकिन छोटे करदाताओं को राहत देते हुए सबसे निचले स्लैब में आयकर की दर 10 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दी थी। सबसे निचले स्लैब में ढाई लाख से लेकर पांच लाख रुपए सालाना कमाई करने वाला वर्ग
आता है।