नेपाल में सरकार गठन के पूर्व सुषमा का दौरा
काठमांडू, 31 जनवरी (आईएएनएस)| भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज गुरुवार से नेपाल का दो दिवसीय दौरे करेंगी। सुषमा देश का दौरा ऐसे समय कर रही हैं, जब वाम मोर्चा यहां संभवत: पूर्व प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली की अध्यक्षता में नई सरकार के गठन की तैयारी कर रहा है।
सुषमा स्वराज सबसे पहले ओली से मुलाकात करेंगी, जिनका पूर्व में भारत के साथ तनावपूर्ण रिश्ता रहा है।
उनका यह दौरा नेपाल में चुनाव के बाद पहली कूटनीतिक पहल है। यहां नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी(एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) और नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी(माओवादी केंद्र) के गठबंधन वाले मोर्चे को बहुमत मिला है।
स्वराज प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा और माओवादी नेता पुष्प कमल दहाल ‘प्रचंड’ से भी मुलाकात करेंगी।
राजनयिकों का कहना है, सरकार गठन से पूर्व इस दौरे का लक्ष्य ओली के साथ भारत के संबंधों को सुधारने का प्रयास करना है। ओली को चीन और सीपीएन-यूएमएल के नजदीक माना जाता है।
वर्ष 2016 में भारत और नेपाल के बीच संबंध उस वक्त खराब हो गए थे, जब ओली ने उस वर्ष जुलाई में अपनी सरकार लड़खड़ाने के बाद नेपाल के प्रति नई दिल्ली की नीति की तीखी आलोचना की थी।
ओली ने वर्ष 2015 के नाकेबंदी के समय भी भारत की आलोचना की थी। इस नाकेबंदी से नेपाल में आर्थिक और मानवीय संकट पैदा हो गया था।
भारत सरकार ने सोमवार को कहा था कि सुषमा स्वराज का दौरा ‘भारत और नेपाल के बीच उच्च स्तरीय राजनीतिक दौरे की परंपरा को ध्यान में रखकर किया जा रहा है’ और इससे ‘दोनों देशों के बीच विविध क्षेत्रों में संबंध मजबूत करने की महत्ता’ प्रदर्शित होती है।
ओली ने वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री रहते हुए चीन के साथ व्यापार और ट्रांजिट समेत कई समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने यह कदम नेपाली बाजार में भारत के अधिपत्य को समाप्त करने के उद्देश्य से उठाया था।
चुनाव परिणाम की घोषणा होने के बाद, प्रधानमंत्री मोदी ने ओली को शुभकामनाएं दी थी और भारत में उनके स्वागत करने की उत्सुकता जताई थी।
विशेषज्ञों का मानना है कि सुषमा स्वराज का दौरा काठमांडू के साथ संबंध अच्छे करने के लिए ‘समझौताकारी’ पहल है।